नई दिल्ली। हर साल देश में लोहड़ी का त्योहार पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार लोहड़ी के त्योहार को लेकर कंफ्यूजन है कि त्योहार किस तारीख को है। तो हम आपको बता दें कि इस साल 14 जनवरी को लोहड़ी सेलिब्रेट होगी। लोहड़ी का फेस्टिवल हमेशा मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है और इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। लोहड़ी को सेलिब्रेट तो सभी करते है लेकिन इस त्योहार के पीछे का महत्व और मान्यता क्या है..ये बहुत कम लोग ही जानते हैं..तो चलिए जानते हैं।
फसल से है लोहड़ी का संबंध
लोहड़ी को लेकर एक नहीं बल्कि कई मान्यता प्रचलित है। एक मान्यता के अनुसार लोहड़ी का संबंध गन्ने की फसल से है। मान्यता है कि लोहड़ी के दिन से गन्ने की फसल की बुआई शुरू हो जाती है और रबी की फसल काट ली जाती है। पुरानी फसल काटने और नई फसल के बोने की खुशी में लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इसके अलावा आगे की फसल अच्छी रहे, इसके लिए प्रार्थना की जाती है।
दुल्ला भाटी की कहानी भी है प्रसिद्ध
दुल्ला भाटी की कहानी भी लोहड़ी से जुड़ी है। माना जाता है कि मुगल काल में पंजाब की लड़कियों और महिलाओं को अगवा कर उन्हें बेच दिया जाता था। इन घटनाओं के वजह से पंजाब के लोग बहुत परेशान रहते थे और डर की वजह से बहन-बेटियों को घर से बाहर नहीं निकलने देते थे। लोगों को इस परेशानी से पीछा छुड़ाने के लिए दुल्ला भाटी नाम का एक युवा आगे आया था, और उसने अगवा लड़कियों को व्यापारियों के चंगुल से छुड़ाया था। इस पर्व को दुल्ला भाटी की याद में भी मनाया जाता है।
कंस ने किया था लोहिता राक्षसी का वध
लोहड़ी का संबंध हिंदू धर्म से भी है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण को मारने के लिए कंस ने राक्षसी लोहिता को नंदगांव भेजा था। माना जाता है कि जिस वक्त लोहिता नंदगांव पहुंची थी, तब सब लोग मकर संक्रांति की तैयारी कर रहे थे…भगवान कृष्ण ने राक्षसी का वध मकर संक्रांति से एक दिन पहले किया था,जिसके वजह से इस त्योहार को लोहड़ी का नाम दिया गया।