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क्या होगा ग्रहों के इस राशि परिवर्तन का असर महाराष्ट्र सरकार, कंगना और भारतवर्ष पर

आगामी 23 सितंबर 2020, बुधवार को सुबह लगभग 8 बजे रहस्यमयी ग्रह (Mysterious Planet) राहु (Rahu), मिथुन (Mithun) राशि से वृषभ (Tauras) राशि मे वक्री होकर प्रवेश करेगा। इसके साथ ही केतु भी वृश्चिक में वक्री होकर अपनी चाल 18 वर्षो बाद बदलने वाला हैं।

नई दिल्ली। आगामी 23 सितंबर 2020, बुधवार को सुबह लगभग 8 बजे रहस्यमयी ग्रह (Mysterious Planet) राहु, मिथुन राशि से वृषभ राशि मे वक्री होकर प्रवेश करेगा। इसके साथ ही केतु भी वृश्चिक में वक्री होकर अपनी चाल 18 वर्षो बाद बदलने वाला हैं। यह उद्वव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के लिए अच्छा संकेत नही है क्यों कि उनकी राशि वृषभ है। राहु केतु के इस परिवर्तन से उनकी सत्ता खतरे में आ सकती हैं। महाराष्ट्र राज्य (Maharashtra State) की राशि, सिंह बनती हैं। जिसमे राहु, 10 वे भाव कोई राजनीतिक संकट खड़ा कर सकता हैं।

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यह वक्री, राहु और केतु का प्रभाव 12 अप्रेल 2022 तक वृषभ राशि पर रहेगा।इनका यह परिवर्तन या वक्री होने का प्रभाव मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि वालों को शुभ फलदायक रहेगा। सर्वविदित है कि नवग्रहों में राहु केतु की चाल हमेशा, उल्टी ही होती हैं। सूर्य ही एकमात्र ग्रह है जो हमेशा सीधी चाल चलता हैं। राहु का वक्री होना इस वर्ष की सबसे बड़ी ज्योतिषीय घटनाओं में गिना जाएगा। राहु केतु का यह परिवर्तन दंगे, अग्निकांड, भय, बाढ़ का आकस्मिक प्रकोप से सकता हैं। कोरोनो के प्रभाव में आकस्मिक वृद्धि होकर, कमी हो सकती हैं। पड़ोसी देश चीन से तनातनी, युद्ध भी करवा सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की राशि पर केतु का संचरण, संकट बढ़ा सकते हैं। क्योंकि राहु में जहां शनि के गुण होते है वहीं केतु में मंगल के गुण प्रभाव दिखाते हैं। सत्ता पक्ष में बेचैनी बढ़ सकती हैं। अगले वर्ष कोरोना संक्रमण से आगामी 13 जनवरी 2021 के बाद कुछ राहत सम्भव है। ईश्वर की आराधना करे, स्वयम का ध्यान रखें।

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राहु 23 सितंबर 2020, बुधवार को सुबह 8.20 बजे मिथुन से वृषभ राशि में गोचर करेगा। राहु 12 अप्रैल 2022 तक इसी राशि में स्थित रहेगा। राहु की चाल हमेशा उल्टी दिशा में होती है। राहु का राशि परिवर्तन इस साल की सबसे बड़ी ज्योतिषीय घटनाओं में से एक है। अतः इसका प्रभाव भी सभी राशियों पर जबरदस्त तरीके से होगा। धार्मिक ग्रंथों में राहु को सर्वदा अपने भक्तों पर वैभव और बाहुल्य प्रदान करने को प्रस्तुत, मित्रवत एवं प्रेम से परिपूर्ण, चंदन पुष्प एवं क्षत्र से सुशोभित नीले रंग में व्यक्त, खड़क और खाल से सुशोभित दक्षिण दिशा की ओर मुंह किए हुए भद्रासन पर आसीन चारों ओर सिद्धियों से घिरे हुए गहरे नीले रंग के राहु हम पर कृपा करें, इस तरह से प्रार्थना की गई है।

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राहु प्रदर्शन कराने वाला होता है। यह गुब्बारे जैसा होता है, जो जगह अधिक घेरता है जबकि अंदर कुछ नहीं होता है। राहु ओवर कॉन्फिडेंट भी बनाता है जो बाद में समस्या का कारण बनता है। ओवर कॉन्फिडेंस को नियंत्रित करके रखा जाए तो यह व्यक्तित्व का काफी प्रसार करता है। व्यक्ति बहिर मुखी हो जाता है अपनी बात को सबके सामने रखने में निपुण हो जाता है। वैसे यह भी देखा गया है कि कई बार व्यक्ति को करियर में अच्छी उन्नति भी मिलती है। विज्ञापन, राजनीति, मार्केटिंग, सेल्स संबंधित क्षेत्र से जुडे लोगों को इस राहु से लाभ भी होता है। स्वभाव के अनुसार, राहु को पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है। आमतौर पर कुंडली में राहु का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय उत्पन्न हो जाता है। परंतु कोई भी ग्रह शुभ या अशुभ नहीं होता है बल्कि उसका फल शुभ-अशुभ होता है। यदि कुंडली कोई ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो वह शुभ फल देता है। राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है।

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राहु है कैंसर और आकस्मिक दुर्घटना का कारक

राहु में थोड़ा भ्रम भी रहता है तो कई बार ऐसा भी हो जाता है कि व्यक्ति के सामने कई रास्ते आ जाएं, जिसमें उसको सही चुनाव करना कठिन हो जाए। फूड प्वाइजनिंग, डायरिया, कैंसर और आकस्मिक दुर्घटना कराने में मुख्य भूमिका राहु ही निभाते हैं। राहु सर्प है और चंदन के ऊपर सर्प के विष का प्रभाव नहीं पड़ता है। राहु जिस राशि के ऊपर संचरण करता है, उस राशि वाले को विष का भय रहता है। राहु की वजह से किसी प्रकार की एलर्जी का भी सामना करना पड़ सकता है। राहु विष कारक होता है। ज्योतिष के अनुसार राहु जिस राशि से गुजरता है, वहां पर अपने विष का प्रभाव छोड़ता है।