नई दिल्ली। साल 2009 में अस्तित्व में आई क्रिप्टोकरेंसी ने काफी लंबा सफर तय किया है। साल 2010 में 10,000 बिटकॉइन्स से सिर्फ 2 पिज्जा ही खरीदे जा सकते थे। लेकिन आज बिटकॉइन का मार्केट कैप बाजार में सबसे ज्यादा दर्ज किया जा रहा है। बीते दिन यानी 25 अगस्त 2021 को बिटकॉइन का बाजार पूंजीकरण 66 ट्रिलियन से ज्यादा है। जिसकी कीमत 47,000 डॉलर यानी 37.30 लाख से ऊपर है। जिसे देखते हुए यह कहा जा रहा है कि बिटकॉइन की कायापलट चुकी है। लेकिन बिटकॉइन माइनिंग की हार्ड लिमिट में कोई बदलाव नहीं आया है।
बिटकॉइन माइन
कहा जा रहा है कि अभी तक 18.78 मिलियन बिटकॉइन की माइन की जा चुकी है। जिसका मतलब है कि दुनिया में कभी भी जितने भी बिटकॉइन रहेंगे उसका लगभग 83 फीसदी हिस्सा अब तक माइन किया जा चुका है और ये हिस्सा सर्कुलेशन में डाला गया है। मतलब लगभग 2 मिलियन बिटकॉइन ही माइनिंग के लिए रखे गए हैं।
बिटकॉइन माइन कब तक होगा?
माना जा रहा है कि यदि सबकुछ ऐसे ही रहा तो दस सालों में 97 फीसदी तक बिटकॉइन माइन किए जा चुके होंगे। बाकी बचे तीन फीसदी कॉइन अगली एक शताब्दी में माइन किए जा सकेंगे। इस हिसाब से आखिरी बिटकॉइन सन् 2140 के आसपास माइन किया जाएगा। कहा जा रहा है कि माइनिंग के धीमा होने की वजह एक प्रकिया है, जिसे हाविंग यानी halving कहते हैं। यानी जिस रेट पर बिटकॉइन जेनरेट होते हैं, यह प्रक्रिया उस रेट को हर चार साल में 50 फीसदी तक घटा देती है।
इस हार्ड लिमिट से फायदा
इसे सीधे तौर पर समझा जा सकता है कि जो चीज जितनी कम होगी, उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी। लेकिन यह कीमत मांग पर निर्भर करती है। चूंकि क्रिप्टो की दुनिया में 21 मिलियन बिटकॉइन ही होंगे, लेकिन दिलचस्पी बढ़ने पर निवेशको की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ने पर इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत भी खुद-ब-खुद बढ़ेगी ही।