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कोरोना की जंग में IAS ने की अनूठी पहल, वेबसाइट बनाकर लोगों को ऐसे कर रहे है जागरूक

प्रशांत शर्मा के मुताबिक, “इंटरैक्टिव टूल के जरिए अपना परीक्षण करने वाले लोगों को सुझाव भी मिलेगा। मतलब कि उन्हें हेल्पलाइन पर फोन करना चाहिए या फिर अस्पताल जाना चाहिए या घर पर रहकर सावधानी बरतना चाहिए।”

नई दिल्ली। लीक से हटकर काम करने में यकीन रखने वाले उत्तर प्रदेश के युवा आईएएएस अफसर प्रशांत शर्मा ने एक बार फिर अपने तकनीकी हुनर का इस्तेमाल कोरोना के खिलाफ लड़ाई में किया है। उन्होंने एक ऐसी वेबसाइट बनाई है जिसमें मौजूद एक खास टूल लोगों को समय रहते कोरोना के खतरे से अलर्ट करता है। यह ऐसी वेबसाइट है जो टेस्ट की सुविधा से कोरोना का न केवल संदेह दूर करती है बल्कि लोगों को जरूरी सुझाव भी देती है।

Jammu Kashmir Corona icon

कोरोना के मरीजों का पता लगाने के लिए ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में जिस इंटरैक्टिव टूल का इस्तेमाल होता है , वह भी इस वेबसाइट में है। यह वेबसाइट कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन(सामुदायिक प्रसार) को भी रोकने में सक्षम है। वेबसाइट का पता है-करोनाजानकारीडॉटइन

32 वर्षीय आईएएस प्रशांत शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “उत्तर और मध्य भारत के करीब 45-50 करोड़ हिंदी भाषी लोगों को ध्यान में रखते हुए यह वेबसाइट बनाई गई है। इस पर कोरोना से जुड़ी हर तरह की जानकारी के साथ सरकारी दिशा-निर्देशों, हेल्पलाइन से लेकर परीक्षण जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।”

Prashant Sharma

वेबसाइट की सबसे प्रमुख खासियत है इसमें इंटरैक्टिव टूल का होना। इस टूल का इस्तेमाल ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) की ओर से किया जा रहा है। प्रशांत शर्मा ने यह वेबसाइट पत्नी पॉलोमी पाविनी शुक्ला के सहयोग से तैयार की है। वेबसाइट कई खासियतों से भरी है। कोई भी व्यक्ति कोरोना का संदेह होने पर अपना खुद टेस्ट कर सकता है। वेबसाइट क्लिक करने पर ऑप्शन मिलता है- क्या आपको करोना संक्रमण के लक्षण हैं? स्वयं परीक्षण करें। यहां पर अपना पिन कोड, लिंग, उम्र, खांसी-बुखार, सांस समस्या आदि लक्षणों के साथ विदेश से लौटने या विदेश से लौटे व्यक्ति के संपर्क के बारे में कुछ चुनिंदा सवालों का जवाब देना पड़ता है। इसके बाद वेबसाइट बताएगी कि आप में कोरोना का संदेह है या नहीं।

चूंकि इस इंटरैक्टिव टूल का प्रयोग करते हुए लोग अपने निवास स्थान के पिन कोड, आयु, लिंग जैसी सूचनाएं देते हैं। इससे शासन-प्रशासन को तुरंत व्यक्ति के बारे में जानकारी हो जाएगी। जिससे कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रियल टाइम में रोकने में मदद मिल सकती है। एक उदाहरण से इसे समझ सकते हैं- जैसे लखनऊ के हरौनी गांव में अगर अधिक संख्या में लोग इस इंटरैक्टिव टूल का इस्तेमाल कर बुखार, खांसी, सांस फूलने के सवालों का उत्तर ‘हां’ में बता रहे हैं तो सरकार को तुरंत यह पता लग जाएगा कि हरौनी गांव में कोरोना के संक्रमण की आशंका अधिक है। जिससे सरकार समय रहते वहां कोरोना की जांच आदि से जुड़े कदम उठाने में सफल होगी।

Corona relief camps

प्रशांत शर्मा के मुताबिक, “इंटरैक्टिव टूल के जरिए अपना परीक्षण करने वाले लोगों को सुझाव भी मिलेगा। मतलब कि उन्हें हेल्पलाइन पर फोन करना चाहिए या फिर अस्पताल जाना चाहिए या घर पर रहकर सावधानी बरतना चाहिए।”

2012 बैच के प्रशांत शर्मा की पहचान एक इनोवेटिव आईएएस अफसर की है। इससे पहले 2016 में उनकी ओर से तैयार ‘आस्क यूपी’ नामक ऐप को उत्तर प्रदेश सरकार से काफी सराहना मिली थी। दरअसल, लखनऊ में सीडीओ रहते हुए प्रशांत शर्मा ने एक सर्वे के बाद इस ऐप को बनाया था, जिसमें पता चला था कि 54 प्रतिशत लोग सिर्फ योजनाओं की जानकारी के लिए सरकारी विभागों का चक्कर काटते हैं। ‘आस्क यूपी ऐप’ के जरिए उन्होंने सभी तरह की सरकारी सुविधाओं के बारे में घर बैठे जानकारी लेने की व्यवस्था की। मसलन, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, आय, जाति प्रमाणपत्र कैसे बनेगा, कितने दिन लगते हैं, कहां आवेदन करना पड़ेगा। सब्सिडी, वजीफा आदि योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी इस ऐप में डाली गई थी। ताकि जनता को सरकारी विभागों का चक्कर काटने की जरूरत न पड़े।

प्रशांत शर्मा का मानना है कि तकनीक की मदद से सुशासन (गुड गवर्नेस) को आसानी से धरातल पर उतारा जा सकता है। प्रशांत शर्मा ने इंफार्मेंशन एंड टेक्नोलॉजी(आईटी) से इंजीनियरिंग की है। ऐसे में वह प्रशासनिक कार्यों में तकनीक के बेहतर इस्तेमाल पर जोर देते हैं। प्रशांत शर्मा गोंडा, कानपुर नगर, बरेली, लखनऊ और अमेठी जिलों में काम कर चुके हैं। बरेली में एसडीएम थे तो लखनऊ में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) और अमेठी के जिलाधिकारी (डीएम) रह चुके हैं।