नई दिल्ली। छात्रों के 12वीं पास करते ही हम यूजी कोर्सेज करने और विश्वविद्यालय में दाखिले की चिंता सताने लगती है। उसका कारण ये है कि कुछ यूनिवर्सिटीज का कटऑफ इतना ज्यादा होता है कि छात्रों का अपनी पसंद के विश्वविद्यालय में दाखिला लेने का सपना सपना ही रह जाता है। लेकिन अब यूजीसी छात्रों और अभिभावकों की इस समस्या के समाधान के लिए एक नया प्लान लेकर आया है। इस प्लान के तहत अब यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए 12वीं के नम्बर ही काफी नहीं होंगे, छात्रों को एक कॉमन टेस्ट भी पास करना होगा। यूजीसी के अनुसार देशभर की सभी 45 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में एडमीशन लेने के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) देना होगा। इन यूनिवर्सिटी में यूजी एडमिशन सिर्फ CUET के आधार पर हों सकेंगे। हालांकि, जो स्टेट यूनिवर्सिटी या प्राइवेट यूनिवर्सिटी CUET को अपनाना चाहते हैं, वो इस एंट्रेंस टेस्ट के स्कोर के साथ-साथ 12वीं के अंकों को भी छात्रों के एडमीशन का आधार बना सकते हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) के चेयरपर्सन प्रो. एम जगदीश कुमार ने सोमवार को जानकारी देते हुए कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) के तहत देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में CUET के आधार पर ही यूजी एडमिशन होंगे। इसके लिए अकादमिक वर्ष 2022-23 से एक कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (Common University Entrance Test) आयोजित किया जाएगा।‘ UGC द्वारा लाई गई इस नई व्यवस्था को लेकर छात्रों के मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं।
चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए छात्रों के मन में चल रहे सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि ‘देश भर के छात्र-छात्राओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ही ‘कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट‘ (CUET) की शुरुआत की गई है।‘ उन्होंने आगे बताया कि ये परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित कराई जाएगी। जिसके तहत सभी विश्वविद्यालयों के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिले किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस साल केवल केंद्रीय विश्वविद्यालय को ही इस परीक्षा के दायरे में रखा गया है, लेकिन बाकी सभी तरह की यूनिवर्सिटीज (स्टेट, डीम्ड, प्राइवेट) चाहें, तो अपने अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एडमीशन के लिए सीयूईटी (CUET) स्कोर्स का इस्तेमाल कर सकती हैं।
अनिवार्य योग्यता
यूजीसी के चेयरमैन जगदीश कुमार ने बताया कि ‘12वीं पास किया हुआ कोई भी छात्र या छात्रा CUET की परीक्षा में शामिल हो सकता है। हालांकि, विश्वविद्यालय द्वारा 12वीं के मार्क्स को भी एडमीशन के पैमाने में शामिल किया जा सकता है। इसका मतलब ये है कि विश्विद्यालय एडमिशन क्राइटेरिया के लिए सीयूईटी स्कोर के साथ-साथ 12वीं में न्यूनतम पर्सेंटेज भी निर्धारित कर सकते हैं।‘ उन्होंने आगे कहा कि ‘यूनिवर्सिटीज स्वायत संस्थाएं हैं, ऐसे में 12वीं पास की न्यूनतम पर्सेंटेज का निर्धारण उन पर ही छोड़ दिया गया है।‘
12वीं के नंबर भी रखेंगे मायने
जगदीश कुमार ने बताया कि वैसे तो कोई भी 12वीं पास छात्र सीयूईटी के एग्जाम में शामिल हो सकता है लेकिन किसी खास यूनिवर्सिटी के खास अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमीशन लेने के लिए वो यूनिवर्सिटी 12वीं में न्यूनतम पर्सेंटेज का मापदंड लागू कर सकती है। उदाहरण के तौर पर एक यूनिवर्सिटी ये कह सकती है कि यूजी प्रोग्राम में एडमीशन के लिए सीयूईटी स्कोर के साथ-साथ 12वीं में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों से पास होना जरूरी हैं। वहीं, दूसरी यूनिवर्सिटी सीयूईटी स्कोर के साथ-साथ 12वीं में न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकों का मापदंड तय कर सकती है। यानी विश्वविद्यालय अपने हिसाब से दाखिले का पैमाना तय कर सकती है।
कब होंगी परीक्षाएं?
CUET की परीक्षा के लिए आवेदन अप्रैल के पहले हफ्ते से किया जाएगा। वहीं, इसका एग्जॉम जुलाई के पहले हफ्ते में होगा, जब लगभग सभी बोर्ड्स के 12वीं के नतीजे आ जाएंगे।
ऑफलाइन या ऑनलाइन?
इसके लिए आवेदन ऑनलाइन स्वीकार किए जाएंगे, जबकि एंट्रेंस टेस्ट एक कम्प्यूटर बेस्ड एग्जाम होगा। स्टूडेंट्स एग्जाम सेंटर जाकर कम्प्यूटर पर CUET परीक्षा दे सकेंगे। इसमें छात्रों को माउस के जरिए क्लिक करके सही विकल्प को चुनकर जवाब देना होगा।
CUET की परीक्षा का उद्देश्य
इस परीक्षा को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य सभी छात्रों को यूजी कोर्सेज में दाखिला देना है। कुछ नामचीन यूनिवर्सिटीज में दाखिले का कटऑफ बहुत ज्यादा होता है, जिसकी वजह से बहुत सारे छात्रों को अपने पसंदीदा शिक्षण संस्थान में दाखिले का मौका नहीं मिल पाता है। CUET की परीक्षा इस समस्या का हल होगा।
CUET का सिलेबस
कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट की परीक्षा का सिलेबस एनसीईआरटी (NCERT) के कक्षा 12 के मॉडल सिलेबस के जैसा ही होगा। इसमें सेक्शन 1A, सेक्शन 1B, जनरल टेस्ट और डोमेन स्पेसिफिक सब्जेक्ट्स पर आधारित पेपर्स होंगे। सेक्शन 1A पेपर अनिवार्य होगा और इसके के लिए 13 भाषाओं का विकल्प दिया जाएगा। इनमें अंग्रेजी, हिंदी, असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगू और उर्दू शामिल हैं। सेक्शन 1B वैकल्पिक पेपर होगा और इसे वो छात्र देंगे जो सेक्शन 1A में आने वाली भाषाओं से अलग कोई अन्य विकल्प चुनते हैं। इसके अंतर्गत फ्रेंच, अरबी, जर्मन आदि भाषाओं का विकल्प दिया जाएगा। अगर डोमेन स्पेसिफिक सब्जेक्ट्स पर आधारित पेपर की बात करें, तो यूजी कोर्सेज के लिए आवेदन कर रहे छात्र अधिकतम 6 डोमेन का चुनाव कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ विश्वविद्यालय खास कोर्सेज में एडमिशन की योग्यता के तौर पर जनरल टेस्ट भी ले सकते हैं। इसलिए इसे भी CUET का हिस्सा बनाया गया है।
परीक्षा प्रणाली
CUET की परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित कराई जाएगी। पहली शिफ्ट में छात्र एक भाषा, दो डोमेन स्पेसिफिक पेपर्स और एक जनरल टेस्ट देंगे। दूसरी शिफ्ट में बाकी चार डोमेन स्पेसिफिक सब्जेक्ट्स और सेक्शन 1बी की परीक्षा देंगे। चेयरमैन जगदीश ने कहा कि इस परीक्षा की वजह से रिजर्वेशन पॉलिसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। विश्वविद्यालय सीयूईटी स्कोर के आधार पर जनरल और आरक्षित सीट के लिए कैंडिडेट्स को नामांकित कर सकते हैं। चेयरमैन ने स्पष्ट किया कि इस परीक्षा के बाद कोई केंद्रीकृत काउंसिलिंग जैसी व्यवस्था नहीं होगी।
स्टूडेंट्स का फायदा
यूजीसी चेयरमैन ने बताया कि इस परीक्षा का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसकी वजह से छात्रों को देश भर के यूनीवर्सिटीज के यूजी कोर्सेज के लिए अलग-अलग तरह के एंट्रेंस टेस्ट नहीं देने पड़ेंगे। इसके अलावा अब स्टूडेंट्स 12वीं में ज्यादा से ज्यादा नंबर बटोरने पर ध्यान देने के बजाए सीखने पर ज्यादा ध्यान देंगे। इस परीक्षा व्यवस्था से स्टूडेंट्स और अभिभावकों पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ भी कुछ हद तक कम होगा।