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Chiranjeevi: ‘भारतीय सिनेमा मतलब हिंदी सिनेमा’..बहुत अपमानित महसूस होता था- साउथ सुपरस्टार चिरंजीवी

Chiranjeevi: ये बात तो सभी जानते हैं कि चिरंजीवी और उनके बेटे रामचरण ने फिल्म आचार्य में एक साथ स्क्रीन शेयर की है। फिल्म को फैंस से बहुत प्यार मिला है। बीते काफी समय से तमिल फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

नई दिल्ली। फिल्म इंडस्ट्री से उठा भाषीय मुद्दे ने देश में राजनीति का रूप ले लिया। लगभग दक्षिण के सभी स्टार्स और राजनेताओं ने भाषा को लेकर अपनी राय रखी। इसी बीच अब साउथ के सुपर स्टार चिरंजीवी ने वो किस्सा शेयर किया है जब उन्होंने हिंदी सिनेमा में दक्षिण सिनेमा को न देखकर अपमानित महसूस किया था। हाल में एक इवेंट में चिरंजीवी ने बताया कि पहले कैसे भारतीय सिनेमा को केवल हिंदी सिनेमा ही माना जाता था और बाकी रीजनल सिनेमा को दरकिनार कर दिया जाता है लेकिन आज वो बहुत खुश हैं क्योंकि साउथ सिनेमा ने सबको पीछे छोड़ दिया है। ये सारी बातें चिरंजीवी ने अपनी लेटेस्ट फिल्म आचार्य के एक इवेंट के दौरान कही थीं।

भारतीय सिनेमा मतलब हिंदी सिनेमा

ये बात तो सभी जानते हैं कि चिरंजीवी और उनके बेटे रामचरण ने फिल्म आचार्य में एक साथ स्क्रीन शेयर की है। फिल्म को फैंस से बहुत प्यार मिला है। बीते काफी समय से तमिल फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। नौबत तो ये आ गई कि सलमान खान को ये तक कहना पड़ा कि साउथ की फिल्में हमारे यहां चलती हैं लेकिन हमारी फिल्में यहां नहीं चलती हैं। अब चिरंजीवी ने एक ऐसा वाकया शेयर किया है जब  साउथ को तवज्जो नहीं देने के लिए उन्हें बहुत अपमानित महसूस किया था। एक वीडियो में चिरंजीवी ने कहा कि 1988 में मैंने नागा बाबू के साथ रुद्रवीणा नाम की एक फिल्म बनाई।फिल्मे को राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए नरगिस दत्त पुरस्कार से नवाजा गया… हम पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली गए।”


बाहुबली और आरआरआर जैसी फिल्मों ने किया देश को गौरवान्वित

उन्होंने बताया कि हम पुरस्कार लेने दिल्ली पहुंचे थे। इवेंट हॉल में चारों तरफ केवल हिंदी सिनेमा के दिग्गजों की तस्वीरें लगी हुई थीं। पृथ्वीराज कपूर, राज कपूर, दिलीप कुमार, देव आनंद, अमिताभ बच्चन, राजेश की ही फोटोज थी। साउथ सिनेमा के नाम पर एमजीआर (एम जी रामचंद्रन) और जयललिता की डांस करती फोटोज थी। ये देखकर मेरी आंखे नम हो गई। डॉ राजकुमार, विष्णुवर्धन, एन टी रामा राव, ए नागेश्वर राव और शिवाजी गणेशन जिन्हें हम देवता मानते हैं उनकी फोटोज नहीं थी। मेरे लिए ये बहुत अपमान की बात थी।उन्होंने केवल हिंदी सिनेमा को भारतीय सिनेमा के रूप में पेश किया और बाकी क्षेत्रीय भाषाओं और सिनेमा को खारिज कर दिया। लेकिन आज  बाहुबली 1, बाहुबली 2 और आरआरआर जैसी फिल्मों ने तेलुगु सिनेमा को गौरवान्वित किया है।