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Varanasi: आतंकियों के हाथ मारे गए कश्मीरी पंडितों की आत्मा को अब मिलेगी शांति, अनुपम खेर कर रहे त्रिपिंडी श्राद्ध

Varanasi: 22 सालों से आगमन सामाजिक संस्था पेट में पल रही बेटियों के जन्म लेने के अधिकार की आवाज को सामाजिक आंदोलन की मुहिम चलाए हुए है। इस संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा जन्म से पहले ही पेट में मारी गई बेटियों के मोक्ष के लिए बीते आठ सालों से पितृ पक्ष की नवमी तिथि को श्राद्ध करते रहे हैं।

नई दिल्ली। कश्मीर में आतंकी हमलों में जान गवाने वाले हिंदुओं को अब मोक्ष का अधिकार मिल पाएगा। इसके लिए बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया गया है। आतंकी हमलों में मारे गए कश्मीरी पंडितों का आज काशी के पिशाच मोचन कुंड पर सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना की ओर से त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाएगा। यहां खास बात ये है कि श्राद्ध कर्म के दौरान बॉलीवुड फिल्म अभिनेता अनुपम खेर कश्मीरी ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस दौरान यहां आतंकी हमलों में अपनों की जान गंवाने वाले कश्मीरी पंडितों के परिजन भी मौजूद रहेंगे। आगमन संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा इस अनुष्ठान में मुख्य यजमान होंगे। आचार्य श्रीनाथ पाठक उर्फ रानी गुरु के आचार्यत्व में ये खास अनुष्ठान हो रहा है। इस अनुष्ठान को 9 ब्राह्मण संपन्न कराएंगे।

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1990 से शुरू हुआ था सिलसिला

आगमन संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 1990 के दशक से कश्मीर में हिंदुओं और खासतौर से कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का दौर शुरु हुआ था। इस नरसंहार में साल दर साल सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया गया। इतना ही नहीं लाखों कश्मीरी पंडित अपने पूर्वजों की करोड़ों रुपए मूल्य की संपत्ति को छोड़कर रिफ्यूजी कैंप में रहने को मजबूर होना पड़ा। ऐसे में अकाल मृत्यु की शिकार हुई अतृप्त आत्माओं की शांति के लिए सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना की तरफ से इस खास अनुष्ठान का आयोजन किया गया है।

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काशी में ही होता है ये खास अनुष्ठान

संतोष ओझा ने कहा कि कश्मीर में हुए नरसंहार में न जाने कितने ही लोग ऐसे थे जिनका श्राद्ध तक नहीं हो पाया। सनातन धर्म की मान्यता के मुताबिक, ऐसी अकाल मौत के बाद श्राद्ध अनिवार्य होता है। इसके लिए शास्त्रों में त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि का प्रावधान किया गया है। पूरी दुनिया में काशी ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां पर इस खास अनुष्ठान को किया जाता है। ऐसे में कश्मीर में हुए नरसंहार में मारे गए हिंदुओं की आत्मा की शांति के लिए इसका आयोजन काशी के पिशाच मोचन कुंड पर हो रहा है। इस खास अनुष्ठान में काशी के साथ ही बाकी अलावा अन्य राज्यों के धर्माचार्य और विद्वान भी मौजूद होंगे।

कौन हैं हजारों अजन्मी बेटियों के पिता हैं डॉ. संतोष

22 सालों से आगमन सामाजिक संस्था पेट में पल रही बेटियों के जन्म लेने के अधिकार की आवाज को सामाजिक आंदोलन की मुहिम चलाए हुए है। इस संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा जन्म से पहले ही पेट में मारी गई बेटियों के मोक्ष के लिए बीते आठ सालों से पितृ पक्ष की नवमी तिथि को श्राद्ध करते रहे हैं। अब तक इन बेटियों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। वहीं, अब संतोष ओझा आतंकी हमले में मारे गए कश्मीरी पंडितों की आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध कर रहे हैं।