गंगटोक। उत्तरी सिक्किम में लोनक झील पर ग्लेशियर फटने की घटना में लापता सेना के जवानों में से 1 मिल गया है। उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। बाकी 22 जवान अब भी लापता हैं। उनकी तलाश तेजी से की जा रही है। लोनक झील पर ग्लेशियर फटने की घटना 3 अक्टूबर की देर रात हुई थी। इस आपदा से तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई थी। हादसे में अब तक 14 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 100 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। 3 अक्टूबर रात करीब डेढ़ बजे चुंगथांग बांध से तीस्ता में पानी छोड़े जाने से हालात बदतर हुए। गंगटोक से करीब 30 किलोमीटर दूर सिंगताम में तीस्ता नदी के पानी में पुल बह जाने की खबर है।
सिंगताम और गोलिटर इलाके में 5 लोगों के शव मिले हैं। इस आपदा में 45 लोगों को बचाया जा सका है। इनमें से 18 घायल बताए जा रहे हैं। सिक्किम सरकार ने इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों के लिए तमाम राहत शिविर बनाए हैं। इन राहत शिविरों में सैकड़ों लोगों ने शरण ली है। प्रभावित इलाकों में लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश राज्य सरकार कर रही है। अंतरिक्ष संगठन इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि लोनक झील का ग्लेशियर अचानक फट गया। इससे 105 हेक्टेयर का इलाका पानी में बह गया। ग्लेशियर फटने से झील का पानी तेज रफ्तार से निकला और उसने अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को तहस-नहस कर दिया।
सिक्किम में हुई इस घटना ने साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ घाटी में हुई प्राकृतिक आपदा की यादें ताजा कर दी हैं। उस वक्त उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के ऊपर स्थित चौराबाड़ी ग्लेशियर रात के वक्त फट गया था। जिससे राज्य में जबरदस्त नुकसान हुआ था। सैकड़ों लोगों को उत्तराखंड की साल 2013 की उस भयानक आपदा में जान गंवानी पड़ी थी।