नई दिल्ली। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने साल 1993 के मुंबई बम धमाकों के गुनहगार और गैंगस्टर अबू सलेम को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में ये साफ किया है कि गैंगस्टर अबू सलेम को 2030 तक रिहा नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसकी 25 साल की हिरासत अवधि पूरी करने के बाद, केंद्र सरकार भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि को लेकर राष्ट्रपति को सलाह दे सकती है। बता दें कि अबू सलेम (Abu Salem) ने उसे सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी थी। अपनी याचिका में सलेम ने कहा था कि साल 2002 में प्रत्यर्पण के समय भारत की ओर से पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के मुताबिक, उसे दी गई सजा 25 साल से ज्यादा नहीं हो सकती। ऐसे में उसे 2027 में रिहा किया जाए।
गौरतलब हो कि साल 1993 के मुंबई बम धमाकों के आरोपी सलेम (Abu Salem) को 11 नवंबर, 2005 को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था। जून साल 2017 में सलेम को दोषी आरोपी ठहराया गया और उसके बाद में मुंबई में 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों में उसकी भूमिका के लिए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। जानकारी के लिए बता दें कि 12 मार्च, 1993 को मुंबई में लगभग दो घंटे में एक के बाद एक करीब 12 विस्फोट किए गए थे। इस हमले में 257 लोगों ने अपनी जान गवाई थी और 713 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
सलेम पुर्तगाल में हुआ था गिरफ्तार
रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद सलेम को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। एक विशेष टाडा अदालत ने 25 फरवरी, 2015 को सलेम को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की उसके ड्राइवर मेहंदी हसन के साथ हत्या के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
SC clarifies that gangster Abu Salem cannot be released till 2030 but after completing his 25 years of detention period, the Central govt can advise the President regarding the extradition treaty between India and Portugal
— ANI (@ANI) July 11, 2022
जेल में कई बार हो चुके हैं हमले
यूपी के आजमगढ़ से अंडरवर्ल्ड तक का सफर पूरा करने वाले अबू सलेम (Abu Salem) के नाम के साथ अनेको बार ‘अंडरवर्ल्ड डॉन’ का तमगा लग चुका है। हालांकि सलेम पर करीब से नजर रखने वाले लोगों का ये कहना था कि वो डॉन नहीं था। 1993 के बम धमाके से पहले सलेम दाउद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम के ड्राइवर और डिलीवरी मैन के तौर पर काम कर रहा था। एक वरिष्ठ पत्रकार हुसैन जैदी ने सलेम पर लिखी अपनी किताब में इसे लेकर दावा किया है कि जेल में सलेम को कभी भी डॉन जैसा रुतबा नहीं मिला था, शायद यही कारण था कि जेल में भी कई बार सलेम पर हमले हुए।