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Video: आचार्य कृष्णम ने गहलोत को बताया ‘अडानी का चमचा’, राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर कही ऐसी बात पार्टी में मच सकती है खलबली

TV Debate: आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राहुल गांधी जब अध्यक्ष बने थे। कांग्रेस में कुछ ऐसी बीमारियां है जो उस समय भी राहुल गांधी के इर्द गिर्द थी और वो बीमारियां राहुल गांधी के साथ भी चल रही है। जब इन बीमारियों का इलाज नहीं होगा। राहुल गांधी की जो तपस्या है जो फल मिलना चाहिए वो नहीं मिल पा रहा है और ना ही मिल पाएगा।

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रियंका गांधी वाड्रा के करीबी आचार्य प्रमोद कृष्णम ने एक बार फिर अपनी पार्टी पर हमला बोला है। एक टीवी डिबेट के दौरान आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने खुद गहलोत को बिजनेसमैन गौतम अडानी की चमचागिरी करने का आरोप लगाया है। इसके साथ आचार्य प्रमोद कृष्णम राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को बीमार बता डाला। प्रमोद कृष्णम के इस बयान से कांग्रेस पार्टी के अंदर घमासान मच सकता है। बता दें कि इससे पहले भी वो राजस्थान के सीएम गहलोत और अपनी पार्टी पर हमला बोल चुके हैं। इसी क्रम में बुधवार को एक टीवी डिबेट के दौरान अशोक गहलोत और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल की पदयात्रा को लेकर बड़ा बयान दिया है।

acharya pramod krishnam

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राहुल गांधी जब अध्यक्ष बने थे। कांग्रेस में कुछ ऐसी बीमारियां है जो उस समय भी राहुल गांधी के इर्द गिर्द थी और वो बीमारियां राहुल गांधी के साथ भी चल रही है। जब इन बीमारियों का इलाज नहीं होगा। राहुल गांधी की जो तपस्या है जो फल मिलना चाहिए वो नहीं मिल पा रहा है और ना ही मिल पाएगा। आगे आचार्य ने कहा कि अडाणी और अंबानी की बात हो रही है अगर अडाणी के खिलाफ खुलकर बोलने की हिम्मत है तो वो सिर्फ राहुल गांधी में है। राहुल गांधी से बड़ा नेता इस समय कोई नहीं है। लेकिन वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद अडाणी चमचागिरी करते हैं, तो प्रोब्लम खड़ी होगी। देश के सामने क्या संदेश जा रहा है। वो कहते है अडाणी सबसे बड़े और महान आदमी है। कांग्रेस नेतृत्व खड़गे और अजय माकन राजस्थान जाते है उसके बाद वहां जो हुआ उसके बाद कांग्रेस लीडरशिप का जो जलो जलाल था वो अशोक गहलोत ने ठोकर मार दिया।

ashok gehlot and adani

उन्होंने आगे कहा कि, भले ही हमारी पार्टी के अंदर कमी है तो आंख बंद कर लें। दूसरी पार्टी के अंदर कमी है तो उस पर हमला करे। ये जरूरी नहीं है। राजनीति में रहने का मतलब झूठ बोलना जरूरी नहीं है। राजनीति में रहने का मतलब ये भी नहीं है कि संवेदनशील मुद्दों पर आंख बंद कर ली जाए।