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मायावती के बाद अखिलेश की भी नजर ब्राह्मण वोट बैंक पर, बसपा के बाद सपा भी करेगी सम्मेलन का आयोजन

UP Election: बता दें कि सम्मेलन ऐसे समय में शुरू होने जा रहा है जब बसपा ने भी ब्राह्मण संगोष्ठी के नाम पर ब्राह्मण वोटों पर नजर गड़ा दी है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोट 13 फीसदी हैं।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस तैयारी में अभी तक देखा गया है कि राजनीतिक दल राज्य के ब्राह्मण वोटों पर अपने डोरे डाल रही है। ऐसे में बीती 23 जुलाई को बहुजन समान पार्टी ने धर्म नगरी अयोध्या में ब्राह्मण संगोष्ठी कर ब्राह्मणों की हितैषी होने का संदेश दिया। वहीं बसपा की तरह समाजवादी पार्टी भी अब ब्राह्मण वोटों के लिए सम्मेलन करने जा रही है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी काफी मजबूत नजर आ रही है। ऐसे में सपा-बसपा ने अपनी तरफ से पूरा जोर लगा दिया है कि भाजपा को सत्ता से बेदखल कैसे किया जाय। इसी के चलते राज्य के ब्राह्मण वोटों पर सपा-बसपा सियासी डोरे डाल रही है। बता दें कि सपा की रणनीति के तहत रविवार को राज्य के 5 ब्राह्मण नेताओं ने सपा मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की।

सपा की मंशा

इस मुलाकात में उत्तर प्रदेश में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ब्राह्मण वोटों को लेकर मंथन किया गया। वहीं इस मंथन के बाद अब सपा ब्राह्मण सम्मेलन करने जा रही है जिसकी शुरुआत यूपी के बलिया जिले से शुरू होगी। अखिलेश यादव से मिलने वाले ब्राह्मण नेताओं में शामिल और ब्राह्मण चेतना मंच और सुलतानपुर जिले की लंभुआ विधानसभा सीट से सपा के पूर्व विधायक(2012) संतोष पांडे ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा, ”आज हुई राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण सम्मेलन करने का फैसला लिया है।”

satish chandra mishra and mayawati

बसपा की रणनीति

बता दें कि सम्मेलन ऐसे समय में शुरू होने जा रहा है जब बसपा ने भी ब्राह्मण संगोष्ठी के नाम पर ब्राह्मण वोटों पर नजर गड़ा दी है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोट 13 फीसदी हैं। ऐसे में इस वोट बैंक को हर दल प्राप्त करना चाहता है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद मिश्रा ने कहा कि अगर प्रदेश के 13 फीसदी ब्राह्मण और 23 फीसदी दलित एक साथ मिलकर भाईचारा कायम कर लें तो सूबे में बसपा की सरकार आने से कोई नहीं रोक सकता है।