नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब में बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के बीच समझौते की बातचीत टूटने की खबर है। हिंदी न्यूज चैनल आजतक ने सूत्रों के हवाले से ये खबर दी है। चैनल के मुताबिक पंजाब में बीजेपी का राज्य नेतृत्व अकाली दल से गठबंधन के पक्ष में नहीं था। साथ ही अकाली दल की तरफ से किसान आंदोलन के दौरान गिरफ्तार लोगों की रिहाई और केस वापसी को लेकर भी दबाव बनाया जा रहा था। हालांकि, गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को ही एक अखबार के कार्यक्रम में कहा था कि अकाली दल से गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। अकाली दल का अभी पंजाब में मायावती की बीएसपी के साथ गठबंधन है और अगर बीजेपी से उसका समझौता होता, तो बीएसपी से गठबंधन टूटना तय था।
अकाली दल पहले बीजेपी के ही साथ थी। अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल को मोदी सरकार में मंत्री भी बनाया गया था। 2020-21 में जब किसान आंदोलन हुआ, तो उसका मुद्दा उठाकर अकाली दल ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था। हालांकि, अकाली दल अब तक विपक्ष के इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं हुआ है। इसकी मुख्य वजह कांग्रेस है। अकाली दल और कांग्रेस पंजाब में एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं। अकाली दल से समझौता न होने पर अब पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर बीजेपी की तरफ से उम्मीदवारों के एलान की नौबत आती दिख रही है।
पंजाब में इससे पहले गठबंधन के तहत अकाली दल 10 और बीजेपी 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। बीजेपी और अकाली दल के बीच बातचीत टूटने की खबर अगर सही है, तो इससे पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव में फायदा हो सकता है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने पहले ही सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। ऐसे में पंजाब में हर सीट पर अकाली दल-बीएसपी गठबंधन, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में देखे जाने के आसार हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें, तो बीजेपी ने पंजाब में 2 सीटें जीती थीं। जबकि, अकाली दल ने 2 और कांग्रेस ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। इससे पहले 2014 में पंजाब में अकाली दल ने 6 और बीजेपी ने 2 लोकसभा सीटें जीती थीं। जबकि, आम आदमी पार्टी को 4 सीटों पर जीत मिली थी।