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Allahabad High Court: सिर्फ शादी के लिए होने वाले धर्म परिवर्तन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

Allahabad High Court: कोर्ट(Allahabad High Court) ने कहा कि रिकार्ड से साफ पता चल रहा है कि धर्म परिवर्तन महज शादी के लिए ही हुआ है। ऐसे में सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन(Religious conversion) करना वैध नहीं है।

नई दिल्ली। शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्म परिवर्तन को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। शादी के लिए धर्म परिवर्तन कराने वालों को तगड़ा झटका देते हुए कोर्ट ने कहा कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं है। अदालत ने विपरीत धर्म के जोड़े की याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने की छूट दी है। दरअसल, याची ने परिवार वालों को उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मामले में अब अदालत ने विवाहित जोड़े की याचिका पर हस्तक्षेप करने से साफ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एक याची मुस्लिम तो दूसरा हिंदू है। लड़की ने 29 जून 2020 को हिंदू धर्म स्वीकार किया और एक महीने बाद 31 जुलाई को विवाह कर लिया। कोर्ट ने कहा कि रिकार्ड से साफ पता चल रहा है कि धर्म परिवर्तन महज शादी के लिए ही हुआ है। ऐसे में सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना वैध नहीं है।

Allahabad_high_court

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसके लिए नूर जहां बेगम केस के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है। इस केस में हिंदू लड़कियों ने धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी की थी। सवाल था कि क्या हिंदू लड़की धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी कर सकती है और यह शादी वैध होगी।

religion conversion

धर्म बदलने के लिए आस्था और विश्वास का होना बेहद जरूरी है, सिर्फ शादी को वजह नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस्लाम के बारे में बिना जाने और बिना आस्था विश्वास के धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा ऐसा करना इस्लाम के भी खिलाफ है। अदालत ने मुस्लिम से हिंदू बन शादी करने वाली याची को राहत देने से इंकार कर दिया है। प्रियांशी उर्फ समरीन व अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई थी।। जस्टिस एम सी त्रिपाठी की एकल पीठ ने ये अहम फैसला सुनाया।