जयपुर। राजस्थान में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस राज्य में हर 5 साल में सरकार बदल जाने का ट्रेंड है। ऐसे में कांग्रेस दोबारा सरकार बनाने के लिए हर संभव कोशिश में अभी से जुटी हुई है। इस कोशिश के तहत अशोक गहलोत की सरकार के तमाम मंत्रियों और कांग्रेस के विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक 6 मंत्रियों और 12 विधायकों के टिकट कटने की पूरी उम्मीद है। सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए कांग्रेस और गहलोत ये पांसा चल सकते हैं। हालांकि, इसका असर कितना होगा और क्या कांग्रेस दोबारा सत्ता में आ जाएगी? इस सवाल का जवाब अभी किसी के पास नहीं है।
सूत्रों के हवाले से हिंदी अखबार ‘दैनिक हिंदुस्तान’ ने खबर दी है कि सचिन पायलट के समर्थक मंत्री मुरारीलाल मीणा, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह का टिकट फंस सकता है। बीएसपी से कांग्रेस में शामिल और गहलोत के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा का टिकट भी फंसने के आसार हैं। हालांकि, गुढ़ा दावा कर रहे हैं कि बीएसपी से कांग्रेस में आए विधायकों को टिकट जरूर मिलेगा। अखबार ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी भी दी है कि गहलोत समर्थक लालचंद कटारिया, रघु शर्मा और महेश जोशी को भी दूसरी सीटों से लड़ाया जा सकता है। कटारिया के बारे में कहा जा रहा है कि वो झोटवाड़ा की जगह अपनी पुरानी सीट आमेर से लड़ सकते हैं।
जलदाय मंत्री महेश जोशी किशनपोल से और गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा केकड़ी से चुनाव मैदान में उतारे जा सकते हैं। अमीन कागजी भी किशनपोल सीट से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। सचिन पायलट समर्थक हरीश मीणा देवली उनियारा सीट की जगह सवाई माधोपुर की बामनवास सीट से, पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह डीग कुम्हेर की जगह नदबई से और मुरारीलाल मीणा दौसा की जगह महुआ सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि इस बार कांग्रेस तमाम नए चेहरों को टिकट दे सकती है। साल 2018 में भी कांग्रेस ने एक दर्जन नए चेहरों को उतारा था, लेकिन वे हार गए थे। इनमें से कम वोटों से हारने वालों पर राजस्थान में कांग्रेस फिर दांव लगा सकती है।