नई दिल्ली। तमिलनाडु की राजनीति के लिए बुधवार का दिन काफी अहम रहा। बता दें कि बुधवार को अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो स्वर्गीय जयललिता की प्रमुख सहयोगी रही शशिकला ने अपने राजनीतिक जीवन से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। उनका ये फैसला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि तमिलनाडु में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव से पहले उन्होंने अपने संन्यास के बाद द्रमुक को हराने के लिए अन्नाद्रमुक नेताओं से एकजुट होने की अपील भी की है। अपने संन्यास को लेकर शशिकला ने पत्र जारी कर कहा, ‘पार्टी के कार्यकर्ता एकजुट रहें और आने वाले विधानसभा चुनाव में DMK को हराने में बड़ी जीत तय करें।’ बता दें कि इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि शशिकला अपने भतीजे दिनाकरण के साथ मिलकर पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं। फिलहाल बताया जा रहा है कि शशिकला के संन्यास लेने के पीछे भाजपा का बड़ा रोल है।
शशिकला ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि, जब पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता जिंदा थीं, तब भी मैं कभी सत्ता में या पद पर नहीं रही। उनके निधन के बाद भी मैं ऐसा नहीं करूंगी। मुझे इसका कोई लालच नहीं है।
उन्होंने लिखा- मैं राजनीति छोड़ रही हूं, लेकिन मैं हमेशा भगवान से प्रार्थना करूंगी कि अम्मा का स्वर्णिम शासन आए और उनकी विरासत बेहतर तरीके से आगे बढ़े। ये मानते हुए कि हम एक ही मां की संतान हैं, सभी समर्थकों को आगामी चुनावों में एक साथ काम करना चाहिए। सभी को DMK के खिलाफ लड़ना चाहिए और अम्मा की सरकार बनाना चाहिए। सभी को मेरा शुक्रिया।’
बता दें कि दिसंबर 2016 में जयललिता के मृत्यु के बाद शशिकला को AIADMK की महासचिव चुना गया था। फरवरी 2017 में भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनका नाम सामने आने के बाद उन्होंने पार्टी की कमान अपने भतीजे टीटीवी दिनाकरन को दे दी थी। गौरतलब है कि मामला की गंभीरता को देखते हुए AIADMK ने सितंबर 2017 में उन्हें और दिनाकरन को पार्टी से निकाल दिया था। जिसके बाद दिनाकरन ने अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कषघम (AMMK) की स्थापना की। वहीं तमिलनाडुए के सीएम की कुर्सी पर शशिकला के समर्थन से पलानीस्वामी CM बनाए गए थे। हालांकि, तब पार्टी दो धड़ो में बंट गई। पलानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम के बीच CM बनने को लेकर विवाद बढ़ गया। बाद में दोनों गुट एक हो गए और शशिकला को पार्टी से किनारे कर दिया।