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लॉकडाउन के बावजूद पिछले साल से ज्यादा हुई गेहूं की खरीद : रामविलास पासवान

रामविलास पासवान ने सोमवार को कहा कि लॉकडाउन के दौरान तमाम चुनौतियों के बावजूद गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल की तुलना में इस बार 25,000 टन से ज्यादा हो चुकी है।

नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने सोमवार को कहा कि लॉकडाउन के दौरान तमाम चुनौतियों के बावजूद गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल की तुलना में इस बार 25,000 टन से ज्यादा हो चुकी है। चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में गेहूं की खरीद 15 दिन विलंब से शुरू होने के बावजूद सरकारी एजेंसियों ने 24 मई 2020 तक किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 341.56 लाख टन गेहूं की खरीद कर ली, जबकि पिछले साल पूरे सीजन के दौरान महज 341.31 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।

इस साल 407 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य रखा गया है, जिसका 83.92 फीसदी लक्ष्य पूरा हो गया है। पासवान ने कहा कि कोरोना के खतरे और देशव्यापी लॉकडाउन को देखते हुए सरकारी एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, खरीद केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सुरक्षा मानकों का पालन, जिसे तकनीक के इस्तेमाल, जागरूकता और खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाकर पूरा किया गया।

Women labourers collect wheat at a warehouse of Punjab State Civil Supplies Corporation Limited on the outskirts of the northern Indian city of Amritsar
केंद्रीय मंत्री ने इसके लिए खरीद एजेंसियों को बधाई देते हुए ट्वीट के माध्यम से कहा, “लॉकडाउन के दौरान तमाम चुनौतियों के बावजूद, सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करते हुए भी 15 अप्रैल से 24 मई तक पिछले साल से 25,000 टन अधिक गेहूं की खरीदारी करने के लिए इससे जुड़ी तमाम एजेंसियों को बधाई।”

मध्यप्रदेश को छोड़ बाकी राज्यों में गेहूं की कटाई शुरू भी नहीं हुई कि कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर केंद्र सरकार ने 25 मार्च से देशभर में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी, जिसकी समय-सीमा चौथी बार बढ़ाकर हाल ही में 31 मई तक कर दी गई है। हालांकि सरकार ने लॉकडाउन के आरंभिक चरण में ही फसलों की कटाई और बुवाई समेत कृषि से जुड़ी तमाम गतिविधियों को छूट दे दी थी, फिर भी अधिकांश राज्यों में 15 अप्रैल से गेहूं की खरीद प्रक्रिया शुरू हुई, जबकि हरियाणा समेत कुछ राज्यों में 20 अप्रैल से शुरू हुई।

wheat

मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि गेहूं की खरीद शुरू करने के लिए कोरोना वायरस फैलने के खतरे के अलावा एजेंसियों के सामने तीन और बड़ी चुनौतियां भी थीं। सभी जूट मिलें बंद हो जाने के कारण जूट की बोरियां बनाने का काम थम गया था। ऐसे में सख्त गुणवत्ता मानकों के साथ तैयार प्लास्टिक के थैलों का इस्तेमाल कर इस समस्या का समाधान किया गया।

सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश हो जाने से खुले में काट कर रखे गए गेहूं के खराब हो जाने का खतरा पैदा हो गया था। किसानों के सामने समस्या यह आ गई कि अगर गेहूं थोड़ा भी खराब हो गया तो यह खरीद प्रक्रिया के लिए तय मानकों के अनुरूप नहीं रह जाएगा और ऐसे में इसकी बिक्री नहीं हो पाएगी। मंत्रालय ने बताया कि किसानों की इस समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने गुणवत्ता मानक दोबारा तय किए।

Ramvilas paswan

तीसरी बड़ी चुनौती श्रमिकों की कमी तथा कोराना वायरस को लेकर आम लोगों में पैदा हुआ डर था। इसका समाधान राज्य सरकार द्वारा स्थानीय स्तर पर कई प्रकार के प्रभावी उपायों के जरिए किया गया। सभी श्रमिकों को मास्क, सैनिटाइजर आदि जैसी पर्याप्त सुरक्षा सामग्री उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा उनकी सुरक्षा के लिए कई अन्य एहतियाती उपाय भी किए गए।

फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के रबी सीजन में उत्पादित गेहूं के लिए केंद्र सरकार ने 1925 रुपये प्रति कुटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया है। पंजाब में 24 मई तक 125.83 लाख टन, मध्यप्रदेश में 113.37 लाख टन, हरियाणा में 70.64 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 19.14 लाख टन और राजस्थान में 10.62 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है।

foodgrain production

उत्तराखंड में 30,609 टन, चंडीगढ़ में 11,240 टन, दिल्ली में 28 टन, गुजरात में 21239 टन, हिमाचल प्रदेश में 3008 टन और जम्मू-कश्मीर में 11 टन गेहूं की खरीद हुई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह जारी फसल वर्ष 2019-20 के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, गेहूं का उत्पादन इस साल करीब 10.72 करोड़ टन होने का अनुमान है।