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Bihar: जिन दो नेताओं को नीतीश देखना नहीं चाहते थे, उन्हीं दोनों को BJP ने बड़ी जिम्मेदारी दी कर चला मास्टरस्ट्रोक

Bihar News: देखा जाए तो भाजपा ने विजय कुमार और स्रमाट चौधरी के जरिए एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है। एक तरफ जहां भाजपा ने दोनों नेताओं के माध्यम से साफ कर दिया है कि पार्टी नीतीश कुमार के खिलाफ अक्रामक तेवर अपनाए रखेगी। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी के जरिए जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश की है।

नई दिल्ली। बिहार (Bihar) में सत्ता परिवर्तन होने के बाद नीतीश-तेजस्वी महागठबंधन और भाजपा आमने-सामने है। जब से नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई है, तब से बिहार सरकार किसी ना किसी वजह से मुश्किलों में घिरी हुई। मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद से नीतीश कुमार भाजपा के निशाने पर हैं। ऐसे में अब भाजपा महागठबंधन सरकार को घिरने के लिए कवायद में जुट गई है। बीते दिन भाजपा ने महागठबंधन सरकार को सदन में घेरने के लिए बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, भाजपा ने स्पीकर पद से इस्तीफा देने वाले विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुना है। इसके अलावा सम्राट चौधरी को विधान परिषद में मुख्य विपक्षी नेता बनाया है। बता दें कि विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी भाजपा के ऐसे नेता हैं, जिनकी सीएम नीतीश कुमार के साथ किसी ना किसी मसले को लेकर घमासान रहा है। दोनों ही नेताओं का सीएम नीतीश के साथ छत्तीस का आंकड़े रहा हैं।

देखा जाए तो भाजपा ने विजय कुमार और स्रमाट चौधरी के जरिए एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है। एक तरफ जहां भाजपा ने दोनों नेताओं के माध्यम से साफ कर दिया है कि पार्टी नीतीश कुमार के खिलाफ अक्रामक तेवर अपनाए रखेगी। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी के जरिए जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश की है। बता दें कि विजय कुमार सिन्हा भूमिहार समुदाय से तालुख रखते हैं, जबकि सम्राट चौधरी कोइरी समाज से आते हैं। इस तरह भाजपा ने सत्ताधारी दलों को स्पष्ट मैसेज दिया है कि सड़क से लेकर सदन तक नीतीश सरकार को घेरने की कोई भी मौका नहीं छोड़ेगी?

बिहार में जिस तरह से राजनीति समीकरण बदला है। ऐसे में भाजपा को एक ऐसा नेता की तलाश था जो कि नीतीश-तेजस्वी सरकार को घेरने के लिए का काम करे। बता दें कि विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी की छवि तेज-तर्रार नेताओं में गिनी जाती है। ऐसे में विपक्ष की भूमिका में पहुंचने के बाद दोनों नेता सदन में प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है।

बता दें कि विजय सिन्हा लखीसराय से 3 बार विधायक चुने गए है। वो बिहार सरकार में मंत्री रहने के साथ-साथ विधानसभा स्पीकर का पद ग्रहण कर चुके है। स्पीकर पद पर बने रहने के दौरान विजय सिन्हा और सीएम नीतीश कुमार के बीच काफी तू-तू मैं-मैं देखने को मिला है।  चूंकि विजय कुमार भूमिहार समाज से आते है और भाजपा का परंपरागत वोट बैंक रहा है। मगर इस बार जेडीयू की पकड़ भी अच्छी रही है। वहीं तेजस्वी यादव भी अपना राजनीतिक आधार भूमिहार के बीच लगातार बढ़ा रहे हैं। ऐसे में भाजपा ने भूमिहार जाति को रिझाने के लिए विजय कुमार सिन्हा के नाम को आगे बढ़ाया है।

इसके अलावा स्रमाट चौधरी की बात करें, तो वो ओबीसी समुदाय के कोइरी समुदाय से आते हैं। सूबे में कोइरी समाज नीतीश का कोर वोटबैंक माना जाता है। तेजस्वी भी कोइरी वोटों को साधने के लिए कवायद करने में जुटे रहते हैं। भाजपा ने सम्राट चौधरी के बहाने कोइरी जाति को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। बिहार में करीब 5 प्रतिशत कोइरी समुदाय की आबादी है। ऐसे में चौधरी के नाम को आगे करके भाजपा ने बड़ा खेल खेला है। इतना ही नहीं भाजपा ने उन दो नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देकर मास्टरस्ट्रोक चला है। जिन्हें नीतीश कुमार देखना नहीं चाहते थे।