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The Economist On Pm Modi: ब्रिटिश पत्रिका द इकोनॉमिस्ट के मुताबिक पीएम मोदी का फिलहाल नहीं है विकल्प, पॉपुलर होने के ये कारण बताए

The Economist On Pm Modi: लेख में द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि मोदी के कार्यकाल में दुनिया में भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति बढ़ी है। लोग सोचते हैं कि मजबूत व्यक्ति को भारत में सरकार चलानी चाहिए। इसके अलावा संभ्रांत लोगों को लगता है कि विश्वसनीय विकल्प आने तक मोदी का समर्थन करना होगा।

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी हर सर्वे में दुनिया के सबसे पॉपुलर लीडर का स्थान हासिल करते रहे हैं। मोदी की पॉपुलैरिटी 76 फीसदी के करीब है। अब ब्रिटेन की नामचीन पत्रिका द इकोनॉमिस्ट ने पीएम मोदी की पॉपुलैरिटी के बारे में अपनी राय जाहिर की है। ‘भारत के कुलीन लोग नरेंद्र मोदी का समर्थन क्यों करते हैं’ के शीर्षक से एक लेख द इकोनॉमिस्ट में प्रकाशित हुआ है। इस लेख में द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि शिक्षित वोटरों के बीच मोदी को बहुत समर्थन हासिल है। इस लेख में द इकोनॉमिस्ट ने मोदी के समर्थन के बारे में कहा है कि इसकी वजजह वर्ग राजनीति, अर्थव्यवस्था और मजबूत व्यक्ति का शासन है।

द इकोनॉमिस्ट के लेख के मुताबिक पीएम मोदी को अक्सर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसे दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों से जोड़ा जाता है, लेकिन मोदी साधारण नहीं है। द इकोनॉमिस्ट ने उम्मीद जताई है कि मोदी तीसरी बार भी लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र में सरकार बनाएंगे। गैलप सर्वे का द इकोनॉमिस्ट ने अपने लेख में हवाला दिया है। लेख में प्यू रिसर्च के सर्वे का भी हवाला है। इसमें कहा गया है कि प्राथमिक स्तर से ज्यादा पढ़ाई न करने वाले 66 फीसदी लोगों ने 2017 में पीएम मोदी के पक्ष में अनुकूल राय दी। इससे ज्यादा पढ़ने वाले 80 फीसदी लोगों ने मोदी को पहली पसंद बताया। लेख में कहा गया है कि 2019 में 42 फीसदी लोगों ने मोदी और बीजेपी को समर्थन दिया। वहीं, प्राथमिक स्तर की पढ़ाई करने वाले 35 फीसदी लोग ही साथ रहे।

PM Modi

द इकोनॉमिस्ट ने अपने लेख में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के वैज्ञानिक नीलांजन सरकार का हवाला देकर कहा है कि मोदी की सबसे बड़ी पैठ निम्न वर्ग के वोटरों में है। अर्थव्यवस्था, मजबूत जीडीपी और उच्च-मध्यम वर्ग के धन में तेजी भी मोदी के पॉपुलर होने की वजह बताई गई है। इसके अलावा लेख में द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि मोदी के कार्यकाल में दुनिया में भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति बढ़ी है। लोग सोचते हैं कि मजबूत व्यक्ति को भारत में सरकार चलानी चाहिए। इसके अलावा संभ्रांत लोगों को लगता है कि विश्वसनीय विकल्प सामने आने तक मोदी का समर्थन करना होगा। यानी ज्यादातर संभ्रांत लोगों ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर भरोसा खो दिया है।