नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मध्य प्रदेश में हमारी सरकार बनने पर बिहार की तर्ज पर जातिगत जनगणना कराई जाएगी, ताकि जातिवार तरीके से सभी लोगों की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी मिल सकें। उन्होंने कहा कि हम सत्ता में आने पर संत रविदास के नाम से विश्वविद्यालय का भी निर्माण करेंगे, ताकि यहां के युवाओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए अन्य प्रदेशों में ना जाना पड़े। बता दें कि मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष एसपी सागर में जनसभा करने पहुंचे। जहां उन्होंने विशाल जनसभा को संबोधित किया और जनता को लुभाने के मकसद से कई वादे भी किए। इस खास मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मौजूद थे।
इस मौके पर खरगे ने बीजेपी नेता व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अब चुनाव का समय आ रहा है, तो इन लोगों को संत रविदास की याद आ रही है। मैं बीजेपी को याद दिलाना चाहता हूं कि एक व्यक्ति ने 18 साल तक राज्य का किया। खुद पीएम मोदी गुजरात के 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे। दिल्ली में अब इन लोगों को 10 साल होने जा रहा है और ये लोग कहते हैं कि कांग्रेस ने इस देश में सर्वाधिक शासन किया है, लेकिन उससे ज्यादा तो इन लोगों ने ही राज किया है, लिहाजा आज की तारीख में गुजरात सबसे बदहाल सूबों में से एक है।
खरगे ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये लोग कहते हैं कि हमने क्या किया। अरे हमने तो इस देश को आजादी दिलाई है। इस देश के लिए अपना खून पसीना बहाया है। हमने इस देश का संविधान बनाया है। बीजेपी लगातार इस देश के लोकतंत्र पर कुठाराघात कर रही है। मध्य प्रदेश में इन लोगों का धनबल का सहारा लेकर सरकार बनाई। इसी तरह इन लोगों ने कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी अपनी सरकार बनाई। इन लोगों को लोकतंत्र के सिंद्धातों से कोई सरोकार नहीं है। ये लोग विधायकों को पैसे और मंत्री पद का लालच देकर हर जगह जम्हूरियत का जनाजा निकाल रहे हैं।
बता दें कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी है। चुनाप प्रचार का सिलसिला जारी है। अब आगामी दिनों में जनता सत्ता की कूंजी किसे सौंपती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि जातिगत जनगणना को लेकर अभी बिहार के सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है। दरअसल, सत्तापक्ष जहां जातिगत जनगणना कराने की पैरोकारी कर रहा है, तो वहीं कुछ दलों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। दरअसल, सत्तापक्ष का कहना है कि आम जनता की जातिगत आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है। फिलहाल, मामला कोर्ट में विचाराधीन है। अब ऐसे में आगामी दिनों में इस पूरे मसले को लेकर इस पर कोर्ट का क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।