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Chandrayaan-3: इसरो के वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता, धरती की कक्षा छोड़कर चांद की तरफ बढ़ा भारत का चंद्रयान-3

चांद तक यान को इसरो जिस गुलेल विधि से भेजता है, उसमें काफी कम खर्च आता है। जबकि, अगर सीधे चांद तक यान भेजना हो, तो बहुत ज्यादा ताकतवर रॉकेट की जरूरत होती है। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद अब चंद्रयान-3 वहां भी पहले अंडाकार कक्षा में धरती के उपग्रह के चक्कर लगाता रहेगा। फिर गोलाकार कक्षा में पहुंचेगा।

नई दिल्ली। भारत का चंद्रयान-3 अब चांद की तरफ बढ़ गया है। बीती रात 12 बजे से 1 बजे तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान के रॉकेट थ्रस्टर्स को ऑन किया। इससे चंद्रयान ट्रांसलूनर कक्षा की ओर चल दिया है। इसरो के मुताबिक धरती की परिक्रमा कर रहे चंद्रयान के अब 6 दिन बाद चांद की कक्षा में पहुंचने की संभावना है। बीती रात जब चंद्रयान के थ्रस्टर्स को ऑन किया गया, तो इसने गति पकड़ी और धरती की एस्केप वेलोसिटी यानी करीब 20000 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार पकड़ ली। इससे पहले चंद्रयान-3 को इसरो के वैज्ञानिक धरती के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में घुमाकर चांद की तरफ बढ़ाने के लिए रफ्तार दे रहे थे। चंद्रयान-3 को चांद की तरफ भेजकर इसरो के वैज्ञानिकों ने बड़ी सफलता हासिल की है।

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चांद की कक्षा की ओर चंद्रयान-3 को रवाना करने के लिए 31 अगस्त की मध्यरात्रि का वक्त इसरो ने पहले ही तय कर लिया था। इससे पहले 5 बार इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान के थ्रस्टर्स को ऑन कर धरती के चारों तरफ उसकी अंडाकार कक्षा में लगातार बढ़ोतरी की थी। चांद तक यान को इसरो जिस गुलेल विधि से भेजता है, उसमें काफी कम खर्च आता है। जबकि, अगर सीधे चांद तक यान भेजना हो, तो बहुत ज्यादा ताकतवर रॉकेट की जरूरत होती है। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद अब चंद्रयान-3 वहां भी पहले अंडाकार कक्षा में धरती के उपग्रह के चक्कर लगाता रहेगा।

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चांद के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाने के बाद इसरो की तरफ से फिर चंद्रयान-3 के थ्रस्टर्स को कई बार ऑन किया जाएगा। इससे उसकी रफ्तार कम की जाएगी और फिर चांद के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चंद्रयान पहुंच जाएगा। इसके बाद लैंडिंग मॉड्यूल विक्रम उससे अलग होकर चांद के चक्कर लगाएगा। कुछ दिन तक विक्रम को चांद के चक्कर लगाने के बाद वहां की सतह पर उतारा जाएगा। ये काम 23 अगस्त की शाम को किया जाना है। विक्रम लैंडर के उतरने के बाद उससे रोवर निकलेगा। ये रोवर 14 दिन तक चांद की सतह पर अपने यंत्रों के जरिए तमाम प्रयोग करने वाला है। इस बार चंद्रयान को इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारने का फैसला किया है।