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Rajasthan: ‘बिजली संकट’ पर कांग्रेस के दो सीएम का संग्राम! गहलोत के दोस्त बघेल ने रोका राजस्थान का कोयला

कोल ब्लॉक परसा से माइनिंग की केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार स्वीकृति नहीं दे रही है। इसके पीछे का कारण है कि कुछ स्थानीय संगठन और आदिवासी समुदाय के लोग कोयला खनन का विरोध कर रहे हैं।

नई दिल्ली। पिछले दिनों देश के कई राज्यों में कोयला संकट बढ़ने के बाद बिजली कटौती की बात बड़े पैमाने पर फैलाई गई थी। तीन-चार दिन तक चले इस बवाल के बाद आखिरकार सरकार ने कहा था कि कोयले की कोई कमी नहीं है। स्टॉक में कुछ कमी जरूर है लेकिन बिजली की कटौती नही करनी पड़ेगी। अब एक बार फिर राजस्थान में कोयला संकट की बात कही जा रही है। कोयला संकट बढ़ने के बाद अब कांग्रेस की दो सरकारें आमने-सामने आ गई हैं

राजस्थान में फिर कोयला संकट?

दरअसल राजस्थान में एक बार फिर से कोयला संकट बढ़ने की संभावना है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार राजस्थान की मदद करने को तैयार नहीं है। दोनों जगहों पर ही कांग्रेस की सरकार है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आमने-सामने हो गए हैं। मुसीबत के दौर में एक राज्य दूसरे की मदद को तैयार नहीं है। जानकारी के अनुसार, राजस्थान को छत्तीसगढ़ में अलॉट पारसा कोल ब्लॉक खान में माइनिंग के लिए छत्तीसगढ़ सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। इस वजह से दोनों सरकारों के बीच तनाव बढ़ गया है।.

15 दिन में दो मंत्रालय ने दे दी अनुमति लेकिन भूपेश सरकार ने अटका दी फाइल 

कोयले की कमी को देखते हुए अशोक गहलोत ने हाईलेवल मीटिंग कर 2 नवंबर को कोल मिनिस्ट्री से कोयला खनन के लिए क्लीयरेंस ले ली थी। वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 21 अक्टूबर को ही क्लीयरेंस दिया दिया था। दो केंद्रीय मंत्रालयों से 15 दिनों में दो में ही राजस्थान सरकार महत्वपूर्ण क्लीयरेंस लेने में सफलता मिल गई, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने क्लीयरेंस की फाइल अटका दी है। यही वजह है कि अशोक गहलोत की सरकार और भूपेश बघेल की सरकार में टकराव की स्थिति बनती दिखाई दे रही है।

अब दोनों सरकारों के बीच बढ़ेगा टकराव 

आपको बता दें कि कोल ब्लॉक परसा से माइनिंग की केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार स्वीकृति नहीं दे रही है। इसके पीछे का कारण है कि कुछ स्थानीय संगठन और आदिवासी समुदाय के लोग कोयला खनन का विरोध कर रहे हैं। अपने वोट बैंक की लालच के चलते भूपेश बघेल की सरकार अनुमति नहीं दे पा रही है। अशोक गहलोत ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से अनुमति देने की अपील की थी, राजस्थान के जिम्मेदार अधिकारी छत्तीसगढ़ के अधिकारियों से बातचीत कर अनुमति देने की मांग कर रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है। यही वजह है कि दोनों राज्य आमने सामने आ गये है। अगर जल्द इन मुद्दों को समाधान नहीं निकाला गया तो टकराव की स्थिति बन सकती है।