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लद्दाख में भारत-चीन विवाद पर यह चौंकानेवाला खुलासा?…, अगर दावा है सच तो कांग्रेस को देना पड़ेगा जवाब!

चीन ने इससे पहले डोकलाम में भी वही कुछ करने की कोशिश की थी जो आज वह पूर्वी लद्दाख में करने की जुगत में लगा हुआ है।

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नई दिल्ली। चीन और भारत के रिश्ते अभी ज्यादा तल्ख हो गए हैं। वजह साफ है भारत जिस तरह से पीओके पर अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, अक्साई चीन पर जिस तरह से मुखर होकर नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से उसे भारत का हिस्सा बताया जा रहा है और कोरोना संकट के बीच जिस तरह से चीन को छोड़कर दुनिया के कई देशों की कंपनिया भारत में आने लगी है। यही मुख्य वजह है कि भारत के साथ चीन ने अपनी तल्खी बढ़ा ली है। चीन ने इससे पहले डोकलाम में भी वही कुछ करने की कोशिश की थी जो आज वह पूर्वी लद्दाख में करने की जुगत में लगा हुआ है। लेकिन चीन को भी यह पता है कि यह नया भारत है और ऐसे में दुनिया में भारत की जो साख इस समय बनी है वह उसके लिए मुसीबत बन सकती है।

चीन को दुनिया भर में डिप्लोमेटिक तरीके से घेाबंदी करने की कोशिश में भारत लग गया है तो वहीं अपनी सैन्य ताकत को भी भारत ने लद्दाख में बढ़ा दिया है। इसके बाद से चीन के सुर बदले-बदले से नजर आने लगे हैं। चीन अब यह कहने लगा है कि भारत के साथ बैठकर इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण तरीके से इस मसले का हल ढूंढा जाएगा।

लेकिन भारत की विपक्षी पार्टियां डोकलाम के समय की तरह ही अब पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर भी राजनीतिक रोटियां सेंकने की जुगत में लग गई हैं। कांग्रेस ने नेता तो सीधे तौर पर इस मामले में सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कल इसी मामले पर सरकार से लद्दाख पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था जिसके बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तल्ख लहजे में कहा था कि नरेंद्र मोदी के रहते हुए भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता।

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यहां तक तो ठीक था लेकिन कांग्रेस को लेकर आईएनएस न्यूज एजेंसी की तरफ से जो ट्वीट के जरिए खुलासा किया गया है वह काफी चौंकाने वाला है। अगर यह सच है तो फिर तो जवाब देने की बारी कांग्रेस की है। क्योंकि ट्वीट में लिखा गया है कि मनमोहन सिंग की अगुवाई वाली यूपीए-2 सरकार के दौरान पूर्वी लद्दाख के 640 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन ने कब्जा जमा लिया था। यहां तक की तब की तत्कालीन सरकार इस बात को मानने को तैयार ही नहीं हुई थी।

आईएनएस न्यूज एजेंसी किए गए दूसरे ट्वीट में लिखा गया है कि 2013 में, पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने इस क्षेत्र का दौरा किया था और वहां से लौटने के बाद सरकार को सूचित किया था कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की गश्ती ने वास्तविक नियंत्रण रेखा की एक नई लाइन निर्धारित कर दी है और इस तरह भारत की सीमा के भीतर 640 वर्ग किमी क्षेत्र पर चीन ने कब्जा कब्जा कर लिया है।

हालांकि इस मामले में किसी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन अगर यह दावा सही है तो फिर इस पूरे मामले पर जवाब देना तो कांग्रेस को बनता है।

लद्दाख में तनाव के बीच भारत ने चीन को सभी पुराने समझौते याद दिलाए

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध जारी है। इस बीच सरकार ने गुरुवार को कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत जारी है और याद दिलाया कि दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

Anurag Shrivastav

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक मीडिया ब्रीफिंग में रक्षा बलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय सैनिक सीमा प्रबंधन के लिए बहुत जिम्मेदार रवैया अपनाते हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाली किसी भी समस्या को हल करने के लिए चीन के साथ विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने वाली प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि 1993 के बाद से भारत और चीन ने सीमा क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने के लिए कई द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं।

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श्रीवास्तव ने याद किया कि दोनों देशों ने 1993 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शांति और स्थिरता के रखरखाव पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच 1996 में एलएसी के साथ सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण उपायों पर समझौता; 2005 में एलएसी के साथ सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण उपायों के कार्यान्वयन के लिए तौर-तरीकों पर प्रोटोकॉल; 2012 में भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य प्रणाली की स्थापना पर समझौता और 2013 में सीमा रक्षा सहयोग समझौता भी हुआ है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर ऐसे तंत्र स्थापित किए हैं, जिनसे सीमावर्ती क्षेत्रों में बातचीत के माध्यम से शांति बहाल हो सकती है। उन्होंने कहा कि साथ ही भारत देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने संकल्प को लेकर दृढ़ है।