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कांग्रेस में बढ़ी रार : पार्टी के ही नेता का आरोप- गुलाम नबी आजाद नहीं चाहते हैं कि राहुल मजबूत हों

आपको बता दें कि हाल ही में गुलाम नबी आजाद(Gulam Nabi Azaad) ने कांग्रेस(Congress) पार्टी में संगठन चुनाव कराने और इसी से अध्यक्ष चुनने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि नियुक्त अध्यक्ष को एक प्रतिशत कार्यकर्ताओं का भी समर्थन प्राप्त नहीं होता है। 

नई दिल्ली। कांग्रेस(Congress) में बड़े स्तर पर बदलाव को लेकर सवाल खड़े होने के बाद अब पार्टी के ही नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से बाज नहीं आ रहे है। अब पार्टी के ही एक नेता ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद(Gulam Nabi Azaad) को लेकर आरोप लगाया है कि गुलाम नबी नहीं चाहते हैं कि राहुल गांधी(Rahul Gandhi) मजबूत हों। इस बयान के बाद से पार्टी में घमासान मचना तय है।

Ghulam Nabi Azad

आपको बता दें कि 2012 के उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले हुई एक घटना को याद करते हुए कांग्रेस नेता एम शशिधर रेड्डी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और उनके 23 दोस्तों में से कुछ पर हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि वे राहुल गांधी को एक बड़े नेता के रूप में नहीं देखना चाहते हैं।

रेड्डी ने कहा, “जब मैं 2011 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) का उपाध्यक्ष था और आजाद स्वास्थ्य मंत्री थे, मैंने जापानी इंसेफेलाइटिस और एईएस के कारण पीड़ित को लेकर उनसे दो महीने तक उनसे मिलने की कोशिश की। वहां हर साल सैकड़ों बच्चे मर रहे थे।’

Rahul Gandhi M Shashidhar Reddy

उन्होंने कहा, “अंत में गोरखपुर के लगभग 500 लोगों ने खून से पत्र लिखकर प्रधान मंत्री, राष्ट्रपति, राहुल गांधी, और गुलाम नबी आजाद भेजा। सरकार को इस बीमारी के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम को मंजूरी देने के लिए राजी किया गया था। दुर्भाग्य से, इस पर बात यूपी में चुनावों से पहले या उसके दौरान बात नहीं की गई। राहुल गांधी ने इन चुनावों के दौरान जमकर प्रचार किया, लेकिन यह मुद्दा उस तरीके से उजागर नहीं हुआ, जिस तरह से हो सकता है।” कांग्रेस नेता ने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) ने इसे एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया और सत्ता में आई।

आजाद के द्वारा उठाए गए सवालों की टाइमिंग पर उन्होंने कहा, “आजाद ने उस समय यूपी में इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया। आज हम सभी कह सकते हैं कि न तो आजाद और न ही उनके कुछ दोस्त राहुल गांधी को एक मजबूत नेता के रूप में उभरने देना चाहेंगे।” उन्होंने 1992 में तिरुपति में AICC प्लेनरी में CWC के चुनाव के संबंध में एक और घटना का जिक्र किया, जिसमें एससी/एसटी समुदाय का एक भी सदस्य नहीं चुना गया था। रेड्डी ने कहा, “तब कांग्रेस अध्यक्ष और पीएम पीवी नरसिम्हा राव ने सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देते हुए इस्तीफा देने के लिए निर्वाचित सीडब्ल्यूसी को चुना और पूरे सीडब्ल्यूसी को नामित किया।”

gulam nabi or raj babbar

आपको बता दें कि हाल ही में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी में संगठन चुनाव कराने और इसी से अध्यक्ष चुनने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि नियुक्त अध्यक्ष को एक प्रतिशत कार्यकर्ताओं का भी समर्थन प्राप्त नहीं होता है।