रायपुर। कांग्रेस आलाकमान क्या नेताओं के दबाव में आ गया है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पार्टी ने दो बड़े मसलों को अपने संविधान संशोधन में जगह नहीं दी है। न ही छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस महाधिवेशन के दौरान पारित प्रस्ताव में इनका जिक्र है। पहला मसला एक व्यक्ति-एक पद का और दूसरा परिवार में से एक को ही चुनाव का टिकट देने का है। खास बात ये है कि खुद राहुल गांधी एक व्यक्ति-एक पद की बात लगातार कहते रहे हैं। जबकि, परिवार से एक को ही टिकट देने का प्रस्ताव तो कांग्रेस ने 2022 में राजस्थान के उदयपुर में हुए नवसंकल्प शिविर के दौरान कही थी।
राहुल गांधी के एक व्यक्ति-एक पद की बात को हालांकि कांग्रेस ने पहले ही परे खिसका दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान जब अशोक गहलोत के लड़ने की चर्चा थी, तब इस मसले की गूंज सुनाई दी थी। तब कहा जा रहा था कि गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान का सीएम पद छोड़ना होगा। गहलोत ने शायद इसी वजह से चुनावी मैदान से खुद को दूर कर लिया। फिर मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस अध्यक्ष बने और वो अभी भी राज्यसभा में नेता विरोधी दल का पद भी संभाले हुए हैं।
बात करें एक परिवार में किसी एक को ही टिकट देने की, तो शायद ये गांधी परिवार की वजह से लागू नहीं हो सका। दरअसल, सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही चुनाव लड़ते हैं। अगले लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा के भी मैदान में उतरने की उम्मीद है। ऐसे में शायद इसे देखते हुए ही परिवार में एक को ही टिकट के संकल्प से भी कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया है। क्योंकि गांधी परिवार के लिए ये संकल्प फिट नहीं बैठ रहा। और अगर इस परिवार के दो या ज्यादा लोगों को टिकट मिला, तो बाकी के लिए फॉर्मूला लागू नहीं हो सकता।