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Big Proposal: चुनाव आयोग ने की बड़े सुधार की सिफारिश, बदला कानून तो सिर्फ एक सीट से ही लड़ सकेगा कोई उम्मीदवार

मौजूदा जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 33 (7) के तहत एक व्यक्ति दो सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। दोनों जगहों से अगर वो जीतता है, तो एक सीट छोड़ देता है। इस छोड़ी हुई सीट पर चुनाव आयोग को उपचुनाव कराना होता है। इसमें फिर बड़ा खर्च आता है। इस खर्च को रोकने के लिए ही चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को एक व्यक्ति-एक सीट का प्रस्ताव भेजा है।

नई दिल्ली। चुनाव आयोग एक बड़े सुधार की ओर बढ़ रहा है। आयोग ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। अगर संविधान संशोधन के जरिए इसकी मंजूरी मिल गई, तो एक व्यक्ति किसी एक ही सीट से चुनाव लड़ सकेगा। इस बारे में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। इससे पहले 2004 में भी आयोग ने केंद्र को यही प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए लोक प्रतिनिधित्व एक्ट 1951 में बदलाव करना होगा। इसके लिए सरकार को संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से संशोधित बिल पास कराना पड़ेगा।

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मौजूदा जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 33 (7) के तहत एक व्यक्ति दो सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। दोनों जगहों से अगर वो जीतता है, तो एक सीट छोड़ देता है। इस छोड़ी हुई सीट पर चुनाव आयोग को उपचुनाव कराना होता है। इसमें फिर बड़ा खर्च आता है। इस खर्च को रोकने के लिए ही चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को एक व्यक्ति-एक सीट का प्रस्ताव भेजा है। आयोग ने इससे पहले सिफारिश की थी कि जो व्यक्ति दो सीटों से जीतने के बाद एक खाली करे, वो सरकार को एक निश्चित रकम दे। कानून मंत्रालय इस सिफारिश पर विचार कर रहा है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में भी एक अर्जी की सुनवाई में एक व्यक्ति-एक सीट का समर्थन कर चुका है।

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इससे पहले विधि आयोग ने भी एक व्यक्ति-एक सीट की सिफारिश की थी। 1996 से पहले कोई उम्मीदवार कितनी ही सीटों से चुनाव लड़ने के लिए आजाद था। जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन के बाद इसे दो सीट तक सीमित किया गया था। मार्च 2015 में विधि आयोग ने अपने कई सुझाव दिए थे। इनमें उम्मीदवारों को एक से ज्यादा सीट से चुनाव लड़ने पर रोक लगाना भी शामिल था। अब अगर मोदी सरकार चुनाव आयोग की ये सिफारिश मान लेती है, तो चुनाव सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले सुझाव दिया था कि देशभर में संसद और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं, लेकिन राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था।