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CAA In Supreme Court: सीएए पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानिए आखिर नागरिकता कानून का विरोध करने वालों ने क्या दलील देते हुए इसे रद्द करने की दी है अर्जी

CAA In Supreme Court: सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आने वालों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। ऐसे जो भी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए, उनको सीएए के तहत नागरिकता देने की बात है।

नई दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए के खिलाफ दाखिल अर्जियों पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने जा रही है। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कई संगठनों ने सीएए को लागू किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। ओवैसी और इन संगठनों की दलील है कि सीएए संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। यानी इसमें सभी के साथ समान व्यवहार वाली बात नहीं है। इस वजह से अर्जी देने वाले सीएए को रद्द करने की मांग अदालत से कर रहे हैं।

सीएए को पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने लागू किया था। सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आने वालों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। ऐसे जो भी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए, उनको सीएए के तहत नागरिकता देने की बात है। सीएए के तहत नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार ने नियम भी बनाए हैं। नागरिकता के आवेदन पर विचार के लिए हर जिले और राज्य में एम्पावर्ड कमेटी बनाने की बात है। इन कमेटियों में केंद्र सरकार के ही अधिकारी होंगे। ताकि राज्यों का इसमें कोई दखल न रह सके।

दरअसल, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और केरल के सीएम पिनरई विजयन की सरकारें सीएए के खिलाफ हैं। इन तीनों सीएम ने अपने राज्य में सीएए लागू नहीं करने का एलान किया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने एम्पावर्ड कमेटियों में अपने ही अधिकारियों को रखने की व्यवस्था की है। सीएए का विरोध करने वालों की दलील है कि इसमें धार्मिक प्रताड़ना का सामना करने वाले मुस्लिम समुदायों को भारत की नागरकिता देने का प्रावधान नहीं है। इसी वजह से ये संविधान में सभी से समान व्यवहार के सिद्धांत के खिलाफ है। अब सबकी नजर इस पर है कि सुप्रीम कोर्ट सीएए पर क्या रुख अपनाता है।