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Explainer On Manipur Arson: मणिपुर में जारी हिंसा की क्या है वजह? आरक्षण से लेकर घुसपैठ तक का हर पहलू जानिए

मणिपुर में लगातार लगातार हिंसा हो रही है। ताजा घटना में गोलीबारी से 9 लोगों की मौत और कई अन्य के घायल होने की खबर है। मई की शुरुआत से ही मणिपुर में हालात खराब हो गए। जिसे संभालने के लिए वहां सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा। मणिपुर में हिंसा के कई पहलू हैं। जिनकों आपके लिए जानना जरूरी है।

नई दिल्ली। मणिपुर में लगातार लगातार हिंसा हो रही है। ताजा घटना में गोलीबारी से 9 लोगों की मौत और कई अन्य के घायल होने की खबर है। मई की शुरुआत से ही मणिपुर में हालात खराब हो गए। जिसे संभालने के लिए वहां सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा। कुकी आदिवासियों और हिंदू मैतेई समुदाय के बीच जारी इस जंग में अब तक करीब 3 दर्जन लोगों की जान जा चुकी है। जबकि, सैकड़ों घर फूंके गए हैं और हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। आपको बताते हैं कि मणिपुर आखिर हिंसा की आग में क्यों झुलस रहा है। खास बात ये है कि मणिपुर में हिंसा का इतिहास दशकों पुराना है, लेकिन ताजा हिंसा की वजह मणिपुर हाईकोर्ट का एक फैसला बन गया।

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दरअसल, 3 मई को मणिपुर हाईकोर्ट ने एक ऐसा आदेश दिया, जिससे हिंसा की आग फैल गई। हुआ ये कि साल 2012 से मणिपुर में शेड्यूल ट्राइब डिमांड कमेटी मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रही थी। इस कमेटी ने मणिपुर हाईकोर्ट में अर्जी भी दी थी। उनका दावा है कि साल 1949 में मणिपुर के भारत में शामिल होने से पहले मैतेई को जनजाति का दर्जा था। कमेटी का ये आरोप भी है कि मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा हासिल यानी कुकी लोग पहाड़ों से भगा रहे हैं और इंफाल घाटी में कुकी जमीन भी खरीद रहे हैं।

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इस पर मणिपुर हाईकोर्ट ने इस साल 19 अप्रैल को राज्य सरकार से कहा कि वो 10 साल पुरानी केंद्र की जनजाति संबंधी सिफारिश पेश करे। इस सिफारिश में मैतेई को जनजाति का दर्जा देने की बात है। फिर कोर्ट ने 3 मई 2023 को मणिपुर सरकार को आदेश दिया कि वो इस सिफारिश पर विचार करे। फिर 4 हफ्ते में जवाब दे। बस इसके बाद उसी तारीख से मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं होने लगीं और राज्य जलने लगा। वैसे इस हिंसा के कुछ और पहलू भी बताए जाते हैं। इसमें ड्रग्स का मामला भी है। मणिपुर की बीजेपी सरकार ने ड्रग्स कारोबारियों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। इससे म्यांमार से आए अवैध प्रवासी भी कानून की जद में आ रहे हैं।

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ड्रग्स के अलावा एनआरसी का भी मुद्दा है। मणिपुर के कई संगठनों ने बीते मार्च महीने में एनआरसी लागू करने की मांग को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन किया था। इसमें 1951 को आधार वर्ष मानने की मांग भी थी। इन संगठनों का आरोप है कि पहाड़ी इलाकों के कुकी आदिवासियों की जनसंख्या अचानक ही बढ़ गई है। जंगलों से मैतेई, मुस्लिम और कुकी समुदाय के अवैध कब्जे हटाए जा रहे थे। इसका सिर्फ कुकी जनजाति ही विरोध कर रहे हैं। ऐसे में मैतेई का आरोप है कि ये लोग घुसपैठिए हैं और अब अपनी जनसंख्या ज्यादा बता रहे हैं। मैतेई समुदाय का ये भी दावा है कि कुकी मूल रूप से म्यांमार के हैं। वहां उनको कुकी-जोमी कहा जाता है। मैतेई समुदाय का ये भी आरोप है कि कुकी घुसपैठ कर मणिपुर में जंगल और जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। कुल मिलाकर इन्हीं सब वजहों से कुकी बनाम मैतेई के बीच हिंसा का ये खेल चल रहा है। जिसमें निर्दोष लोग जान और अपनी संपत्ति गंवा रहे हैं।