नई दिल्ली। आजादी के 70 साल बाद पहली बार सही मायने में अल्पसंख्यक मंत्रालय का जिम्मा एक बहुत अल्पसंख्यक परिवार में शादी करने वाली मंत्री को मिला है। मंत्री का नाम स्मृति ईरानी हैं। मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री पद से बुधवार को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने स्मृति ईरानी को इस मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार दे दिया। बता दें कि देश में पारसी समुदाय अल्पसंख्यकों में सबसे कम तादाद में हैं। साथ ही अब तक इस मंत्रालय का प्रमुख मुस्लिम को ही बनाया जाता रहा है। स्मृति को ये कार्यभार पूरे समय के लिए अभी नहीं दिया गया है, लेकिन पुरानी परंपरा इस बार पीएम मोदी ने तोड़ दी है।
स्मृति ईरानी मूल रूप से बंगाली हैं, लेकिन उन्होंने पारसी समुदाय के जुबिन ईरानी से शादी की है। स्मृति के दो बच्चे एक बेटा और बेटी हैं। टीवी की अदाकारा स्मृति ने ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से घर-घर में पहचान बनाई थी। अपनी पढ़ाई के दौरान वो एक रेस्तरां में वेट्रेस का काम भी कर चुकी हैं। स्मृति ईरानी ने साल 2019 में कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी सीट पर राहुल गांधी को शिकस्त दी थी। वो अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा कर वहां लोगों की मुश्किलें लगातार दूर भी करती हैं।
बात अगर भारत में पारसी समुदाय की हो, तो ये समुदाय सभी अल्पसंख्यकों में सबसे कम तादाद में हैं। इनकी तादाद 2 फीसदी से भी कम है। फारस (अब ईरान) पर मुस्लिम आक्रांताओं के हमलों से बचने के लिए पारसी वहां से भारत आ गए थे। मूल रूप से पारसी परिवार मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में रहते हैं। इस समुदाय से रतन टाटा नामी उद्योगपति हैं। इसके अलावा शापूरजी-पलोनजी ग्रुप भी पारसी परिवार का ही उद्योग है।