वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष ने वाराणसी के कोर्ट में एक और अर्जी दी है। इस अर्जी में ज्ञानवापी मस्जिद के तहखानों का एएसआई सर्वे कराने की मांग हिंदू पक्ष ने की है। इससे पहले एएसआई ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया था, लेकिन वहां तहखानों की जांच उसमें शामिल नहीं थी। ज्ञानवापी मस्जिद में कई तहखाने हैं। इसमें से व्यासजी के तहखाने की एएसआई जांच हो चुकी है। व्यासजी के तहखाने में जिला जज के आदेश से 31 साल बाद फिर पूजा शुरू हो चुकी है। मुस्लिम पक्ष ने इस पूजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दी है। जिसपर एक बार सुनवाई हो चुकी है और अगली सुनवाई कल यानी मंगलवार को है। इसी बीच हिंदू पक्ष की ताजा अर्जी से ज्ञानवापी मसले की कानूनी जंग और तेज होने के आसार हैं।
एएसआई ने ज्ञानवापी के सर्वे की रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा ढांचे से पहले वहां विशालकाय मंदिर था। एएसआई की रिपोर्ट बताती है कि उस प्राचीन मंदिर के खंबे वगैरा को ज्ञानवापी मस्जिद को बनाने में इस्तेमाल किया गया। एएसआई की रिपोर्ट में मस्जिद से मिली तमाम देवी-देवताओं की मूर्तियों और अन्य प्रतीक चिन्हों की जानकारी भी दी गई है। इसके अलावा एएसआई की रिपोर्ट में खास बात ये भी कही गई है कि ज्ञानवापी मस्जिद की जो पश्चिमी दीवार है, वो प्राचीन हिंदू मंदिर का ही हिस्सा था। इससे हिंदू पक्ष काफी उत्साहित है और उसने अब मस्जिद स्थित तहखानों की एएसआई से सर्वे की मांग कोर्ट के सामने रख दी है।
ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के दौर में साल 1669 में यहां स्थित काशी विश्वेश्वर के प्राचीन मंदिर को ढहा दिया गया। उस मंदिर के ऊपर ही ज्ञानवापी मस्जिद तामीर की गई। मुस्लिम पक्ष यानी मसाजिद कमेटी इस दावे को गलत बताती है। मसाजिद कमेटी के वकील का दावा है कि मस्जिद काफी पहले बनी थी और खाली जगह बनाई गई। मूर्तियां मिलने के बारे में मसाजिद कमेटी के वकील का कहना है कि पहले पड़ोस में कई मूर्तिकार रहते थे, उन्होंने वो मूर्तियां ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर फेंकी होंगी।