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Supreme Court On 2002 Gujarat Riots: गुजरात दंगे मामले में पीएम मोदी को क्लीन चिट देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 452 पन्नों के फैसले में क्या-क्या कहा जानिए

Supreme Court On 2002 Gujarat Riots: कोर्ट का कहना है कि कुछ राज्य अधिकारियों की लापरवाही की वजह से पूरे प्रशासन को दोषी नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा कोर्ट ने एसआईटी के काम की तारीफ भी की है।

नई दिल्ली। 2002 गुजरात दंगे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने SIT की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी की क्लीन चिट को बरकरार रखा है। कोर्ट का कहना है कि कुछ राज्य अधिकारियों की लापरवाही की वजह से पूरे प्रशासन को दोषी नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा कोर्ट ने एसआईटी के काम की तारीफ भी की है। कोर्ट ने मामले पर साफ-साफ कहा है कि नरेंद्र मोदी और बाकी लोगों  को फंसाने के लिए झूठी गवाही तक दी गई। ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे पता चलता हो कि गोधरा कांड और उसके बाद हुई हिंसा सुनियोजित या किसी तय साजिश का हिस्सा थी। कोर्ट ने मामले पर बहुत कुछ कहा है तो चलिए आपको विस्तार में बताते हैं कि नरेंद्र मोदी की क्लीन चिट को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने क्या-क्या कहा है।

कुछ असंतुष्ट अधिकारियों की वजह से पूरी सरकार को दोष देना गलत

एससी जस्टिस दिनेश माहेश्‍वरी, सीटी रविकुमार और एएम खानविलकर की बेंच ने 452 पन्नों के फैसले में काफी कुछ कहा। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद जकिया जाफरी की याचिका को खारिज करते हुए क्लीन चिट को बरकरार रखा है। बता दें कि जकिया जाफरी ने  नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को कोर्ट की तरफ से दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी थी। जिसे अब कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि गोधरा कांड और उसके बाद हुई हिंसा सुनियोजित या किसी तय साजिश का हिस्सा थी..इसको लेकर कोई सबूत या गवाह मौजूद नहीं है। इसलिए प्रशासन को दोषी ठहराना सही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि गुजरात दंगों के बहाने कुछ सरकार से असंतुष्ट अधिकारी और बाकी लोग सनसनी पैदा करना चाहते थे लेकिन उसके पास जितनी भी जानकारी थी वो तथ्य रहित और झूठी थी।

मामले को हिंदू बनाम मुस्लमान बनाने की कोशिश की गई

कोर्ट ने अपने टिप्पणी में उन लोगों को भी फटकार लगाई जिन्होंने अदालत का समय बर्बाद किया और उसका दुरुपयोग किया। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि मामले की सुनवाई 2006 से चल रही है और कई बार इसमें शामिल पदाधिकारी की ईमानदारी पर सवाल भी खड़े हुए। वहीं मामले को नया रंग देने के लिए आईपीएस अधिकारियों- आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट ने झूठी गवाही तक दी। ऐसे लोगों को कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मामले को हिंदू बनाम मुसलमान बनाने की कोशिश भी की गई लेकिन ऐसे कोई सबूत नहीं है जो ये साबित करते हो कि मुसलमानों को जानबूझकर निशाने पर लिया गया हो।