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Google Doodle: गूगल ने डूडल बनाकर किया भारत के ‘सैटेलाइट मैन’ राव को सम्मानित

Google Doodle: नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी ग्रुप के सहयोग से सौर हवा की निरंतर प्रकृति और मैरिनर-2 अवलोकनों का उपयोग करके भू-चुंबकत्व पर इसके प्रभाव को स्थापित करने वाले वह पहले साइंटिस्ट थे।

नई दिल्ली। गूगल ने बुधवार को भारत के ‘सैटेलाइट मैन’ और प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्वर्गीय उडुपी रामचंद्र राव (Udupi Ramachandra Rao) पर डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया है। गूगल डूडल पर पृथ्वी और चमकदार तारों के बैकग्राउंड के साथ प्रोफेसर राव का एक स्केच है। गूगल ने अपने डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “आपके तारकीय तकनीकी प्रगति को गैलेक्सी के पार महसूस किया जाना जारी है।” भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में, राव ने भारत के पहले उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ के 1975 के प्रक्षेपण का पर्यवेक्षण किया। 10 मार्च, 1932 को कर्नाटक में जन्मे राव का 2017 में निधन हो गया था। उन्हें 1976 में पद्म भूषण और 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। राव ने अपने करियर की शुरूआत कॉस्मिक रे साइंटिस्ट (ब्रह्मांडीय किरण वैज्ञानिक) के रूप में की और अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के अधीन काम किया।

Udupi Ramachandra Rao

नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी ग्रुप के सहयोग से सौर हवा की निरंतर प्रकृति और मैरिनर-2 अवलोकनों का उपयोग करके भू-चुंबकत्व पर इसके प्रभाव को स्थापित करने वाले वह पहले साइंटिस्ट थे। कई ‘पॉयनियर’ और ‘एक्सप्लोरर’ अंतरिक्ष यान पर राव के प्रयोगों से सौर ब्रह्मांडीय-किरण घटनाओं और अंतर-ग्रहों के अंतरिक्ष के विद्युत चुम्बकीय स्थिति की पूरी समझ पैदा हुई।

Udupi Ramachandra Rao

वह अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष और बेंगलुरु में नेहरू तारामंडल और तिरुवनंतपुरम में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) के चांसलर भी रहे। सोसाइटी ऑफ सैटेलाइट प्रोफेशनल्स इंटरनेशनल द्वारा एक समारोह में राव को 2013 में वाशिंगटन के सैटेलाइट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था। इसके साथ ही वह उस श्रेणी में शामिल होने वाले पहले भारतीय बन गए। वह मेक्सिको के ग्वाडलाजारा में प्रतिष्ठित ‘आईएएफ हॉल ऑफ फेम’ में शामिल होने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक बन गए।