नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी लगातार देशभर में कार्रवाई कर रहा है। आए दिन पता चलता है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत ईडी ने किसी नेता या अन्य को गिरफ्तार किया। ईडी की इस कार्रवाई का विपक्षी दल विरोध भी करते हैं। विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने ईडी समेत केंद्रीय जांच एजेंसियों को अपना हथियार बना लिया है। विपक्ष के इन आरोपों के बीच अब सरकार ने संसद में जो आंकड़े दिए हैं, उनसे साफ हो गया है कि ईडी जो काम कर रहा है, वो किसी का हथियार बनकर नहीं, बल्कि गुनहगारों के खिलाफ है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में ईडी की कार्रवाई और सक्सेस रेट बताया। उन्होंने जवाब दिया है कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में ईडी ने पिछले 9 साल में 93 फीसदी दोषियों को सजा दिलाई है। ईडी की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के बारे में वित्त राज्य मंत्री ने सदन को बताया कि इस दौरान 31 मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है और 29 मामलों में 54 दोषियों को सजा दिलाई गई है। उन्होंने ये भी बताया कि ईडी ने अब तक 16507 करोड़ की संपत्ति भी मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जब्त की है। पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि कुछ मामलों में जांच के बाद विधेय अपराध रद्द करने से मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई आगे नहीं चली।
ईडी के बारे में विस्तृत जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि इस केंद्रीय जांच एजेंसी में इस साल 13 जुलाई तक स्टाफ की भी कमी है। अभी ईडी में 25 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं। उन्होंने बताया कि ईडी को 2075 कर्मचारी और अफसर मिलने चाहिए। जबकि, इनकी अभी संख्या 1542 ही है। इसी से पता चलता है कि स्टाफ की कमी के बावजूद किस तरह ईडी देश के आर्थिक गुनहगारों को पकड़ने का काम कर रही है। सरकार की तरफ से दिए गए इन आंकड़ों से ये भी पता चलता है कि द्वेष के कारण ईडी की कार्रवाई नहीं कराई जा रही। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ईडी या इनकम टैक्स के कर्मचारी उनसे पूछकर छापे नहीं मारते। न ही सरकार की तरफ से इन एजेंसियों पर किसी के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव डाला जाता है।