नई दिल्ली। 22 और 27 सितंबर को ताबड़तोड़ छापों के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI पर बैन लगाने का एलान किया। पीएफआई के तमाम बड़े नेता और सदस्य भी इन छापों के दौरान गिरफ्तार किए गए। छापों से पता चला कि पीएफआई अबुधाबी के दरबार रेस्तरां के जरिए हवाला से 120 करोड़ रुपए भी जमा कर चुका था। इस रकम का इस्तेमाल दंगे कराने और पीएम नरेंद्र मोदी समेत तमाम शख्सियतों पर हमले के लिए इस्तेमाल होने वाला था। इसके अलावा एक और बड़ा खुलासा इस संगठन के बारे में हुआ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA और प्रवर्तन निदेशालय ED के छापे के दौरान पीएफआई के एक कार्यकर्ता से ऐसा यंत्र बरामद किया है, जो न सिर्फ बड़े अंतरराष्ट्रीय साजिश के संकेत देता है, बल्कि इस बरामदगी से ये खुलासा भी हुआ है कि कट्टरपंथी संगठन किस तरह खुफिया एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहा।
एक टीवी चैनल के पत्रकार के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों ने तमिलनाडु में जब छापेमारी की, तो पीएफआई के एक सदस्य बरकतउल्लाह के घर भी पहुंचे। यहां एनआईए और ईडी के अफसरों को उच्चस्तरीय संचार उपकरण मिले। ये उपकरण ऐसे हैं, जिनकी मदद से गहरे समुद्र में आपस में बातचीत की जा सकती है और कोस्ट गार्ड या अन्य खुफिया एजेंसियों को पता तक नहीं चलता है। एजेंसियां ये पता लगा रही हैं कि पीएफआई को ये संचार उपकरण आखिर कहां से हासिल हुआ। इस संचार उपकरण की बरामदगी से ये शक भी हो रहा है कि पीएफआई का कैडर हथियारों, विस्फोटकों और ड्रग्स की स्मगलिंग कर भारत को बड़े पैमाने पर दहलाने की साजिश को तकनीकी तौर पर भी पुख्ता कर रहा था।
Agencies recovered High end communication devices from one #PFI operative Barakatullah in Tamilnadu, which were being used for deep sea navigation avoiding the detection of coastguard and law enforcement agencies.
— Jitender Sharma (@capt_ivane) September 28, 2022
बता दें कि केंद्र सरकार ने आज तड़के ही पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर बैन लगाया है। पीएफआई के अलावा केंद्र सरकार ने उसके जिन और संगठनों को बैन के दायरे में रखा है, उनमें ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल वीमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट और एम्पावर इंडिया फाउंडेशन शामिल हैं।