नई दिल्ली। काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट था ऐसे में इसे मूर्त रूप देने के लिए योगी सरकार कैबिनेट ने अलग अलग 9 बैठकें की थी इन्हीं बैठकों में इस योजना को चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दिलाई गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए पूरा जोर लगा दिया। इस योजना को पूरा करने की शुरूआत 19 जून 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक से हुई। इस बैठक में श्री काशी विशिष्ट क्षेत्र विकास प्राधिकरण वाराणसी अध्यादेश 2018 को मंजूरी मिली। जिसके कारण ही इसका नाम श्री काशी विश्वनाथ क्षेत्र विकास परिषद रखा गया। इसके बाद चार सितंबर 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक में मंदिर के विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण योजना के तहत खरीदी जाने वाली भूमि और भवनों में सेवाइत संपत्तियों के विनिमय के लिए नीति का निर्धारण का काम किया गया। धर्मार्थ कार्य विभाग व गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा कराने में अहम किरदार निभाया।
13 नवंबर 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश सरकार की ओर से मंदिर विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण योजना के अंतर्गत कुल भूमि व भवन खरीद से संबंधित 296 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। विस्तारीकरण के लिए ये प्रस्ताव काफी महत्वपूर्ण थे। पहली अक्तूबर 2019 को हुई प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इस योजना से जुड़ें प्रस्तावों को मंजूरी दी गई जो कि करीब 318.67 करोड़ रुपये के थे। 22 अक्तूबर 2019 की बैठक में प्रदेश सरकार ने वाराणसी के लाहौरी टोला स्थित निर्मल मठ के अधिग्रहण और 19 नवंबर 2019 की कैबिनेट बैठक में 296 भवनों की खरीद एवं ध्वस्तीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
इसके बाद 29 जून 2020 को हुई बैठक में कैबिनेट ने मंदिर विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण योजना के दूसरे चरण के लिए ड्राइंग और डिजाइन में वांछित परिवर्तन के लिए मंडलायुक्त वाराणसी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने का निर्णय लिया। ऐसे ही 25 जून 2021 को हुई कैबिनेट की बैठक में कैबिनेट ने योजना के अंतर्गत भवन संख्या सीके-38/12, 13 व 14 को खरीदे जाने और जायदाद वक्फी प्लाट का विनिमय किए जाने का निर्णय लिया गया।