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एक ही आईएमईआई नंबर वाले साढ़े 13 हजार मोबाइल फोन, चीन की इस कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज

आईएमईआई यानी इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आईडेंटीटी। एक तरह से मोबाइल की पहचान। कंपनी एक मोबाइल को एक आईएमईआई देती है।

नई दिल्ली। आईएमईआई यानी इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आईडेंटीटी। एक तरह से मोबाइल की पहचान। कंपनी एक मोबाइल को एक आईएमईआई देती है। लेकिन एक आईएमईआई देशभर के करीब साढ़े 13 हजार मोबाइलों में चल रहा है। मेरठ जोन पुलिस की साइबर क्राइम सेल की जांच में यह खुलासा हुआ है। चीन की वीवो कंपनी व उसके सर्विस सेंटर के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर मेरठ की मेडिकल थाना पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से कंपनी की यह भारी चूक मानी जा रही है।

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अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ के कार्यालय में तैनात सब इंस्पेक्टर आशाराम के पास वीवो कंपनी का मोबाइल है। स्क्रीन टूटने पर उन्होंने 24 सितंबर 2019 को मेरठ में दिल्ली रोड स्थित वीवो के सर्विस सेंटर पर मोबाइल दिया। बैट्री, स्क्रीन और एफएम बदलकर सर्विस सेंटर ने उन्हें मोबाइल दे दिया। कुछ दिन बाद डिस्प्ले पर एरर आना शुरू हो गया।

तत्कालीन एडीजी प्रशांत कुमार ने मेरठ जोन पुलिस की साइबर क्राइम सेल प्रभारी प्रबल कुमार पंकज व साइबर एक्सपटर्स विजय कुमार को जांच का निर्देश दिया। जांच में पाया कि आशाराम के मोबाइल बॉक्स पर जो आईएमईआई लिखा हुआ है, वह वर्तमान में मोबाइल में मौजूद आईएमईआई से अलग है। 16 जनवरी 2020 को सर्विस सेंटर मैनेजर ने जवाब दिया कि आईएमईआई नहीं बदली गई। चूंकि उस मोबाइल में जिओ कंपनी का सिम था इसलिए साइबर सेल ने उक्त आईएमईआई टेलीकॉम कंपनी को भेजकर डाटा मांगा। वहां से रिपोर्ट आई कि 24 सितंबर 2019 को सुबह 11 से 11.30 बजे तक देश के अलग-अलग राज्यों के 13557 मोबाइलों में यही आईएमईआई रन कर रहा है।

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साइबर सेल ने पूरे मामले में वीवो इंडिया के नोडल अधिकारी हरमनजीत सिंह को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस दिया। नोटिस के जवाब से पुलिस संतुष्ट नहीं हुई। वह यह भी नहीं बता पाए कि ट्राई के किस नियम के अनुसार एक आईएमईआई एक से ज्यादा मोबाइल नंबर पर सक्रिय है। साइबर सेल ने माना है कि इस मामले में मोबाइल कंपनी की घोर लापरवाही और ट्राई के नियमों का उल्लंघन है।

एडीजी राजीव सबरवाल के अनुसार, कुछ वर्षों पहले जब चाइनीज फोन आए थे तब उनका आईएमईआई नंबर एक ही होता था। सुरक्षा के लिहाज से यह खतरा थे। इसलिए भारत सरकार ने सभी नंबरों को ब्लैक लिस्ट किया। इसके बाद ट्राई के नियम लागू हुए। इसके तहत एक आईएमईआई सिर्फ एक मोबाइल को दिया जा सकता है।

राजीव सबरवाल, एडीजी मेरठ जोन बताते हैं कि एक शिकायत पर इस केस में जांच हुई। पता चला कि एक आईएमईआई कई हजार मोबाइलों में चल रहा है। यह नियमों का उल्लंघन है। सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा है। यदि उस आईएमईआई वाले मोबाइल से कोई अपराध हुआ तो हम अपराधी को पकड़ भी नहीं पाएंगे। मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है। कंपनी से बात होगी कि यह कैसे हुआ।

वीवो इंडिया के नोडल अधिकारी को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस

साइबर सेल ने पूरे मामले में वीवो इंडिया के नोडल अधिकारी हरमनजीत सिंह को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस दिया। नोटिस के जवाब से पुलिस संतुष्ट नहीं हुई। वह यह भी नहीं बता पाए कि ट्राई के किस नियम के अनुसार एक आईएमईआई एक से ज्यादा मोबाइल नंबर पर सक्रिय है। साइबर सेल ने माना है कि इस मामले में मोबाइल कंपनी की घोर लापरवाही और ट्राई के नियमों का उल्लंघन है।

दंगे और सरकार विरोधी साजिशों को अंजाम देने के लिए साइबर नेटवर्क का शक

इस पूरे मामले को लेकर इस बात की भी शंका जताई जा रही है की इस चीनी कंपनी के द्वारा जारी किए गए एक ही IMEI नम्बर पर 13000 से ज़्यादा ऐक्टिव फोनों के जरिए ही कई दंगे और सरकार विरोधी कामों को अंजाम दिया गया है। कई वारदातों में ऐसे फोनों का इस्तेमाल किया गया है। अब इस एंगल से भी पूरे माले की जांच चल रही है।

जल्दी ही हो सकता है बड़े साइबर क्राइम का खुलासा

एडीजी ऑफिस में तैनात पुलिसकर्मी आशाराम ने सितंबर 2019 में तत्कालीन एडीजी प्रशांत कुमार से भी इस मामले की शिकायत की थी तब से अब तक इस मामले की जांच चल रही है। जिसके बाद साइबर सेल टीम ने विवो के भारत लेबल उच्च अधिकारियों को एक नोटिस भेजा तो उस नोटिस के जवाब से भी साइबर सेल संतुष्ट नहीं हुआ। अब इस मामले पर एडीजी जोन राजीव सब्बरवाल का कहना है कि मामले में गहनता से जांच की जा रही है और वास्तव में यह बड़ी लापरवाही है अब जांच के बाद लापरवाह लोगों पर कडी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में अब इस मामले में साइबर क्राइम की तरफ से कई अहम खुलासे हो सकते हैं।