नई दिल्ली। भारत में हो रहे किसान आंदोलन को लेकर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) के बयान पर भारत काफी सख्त तेवर अपना रहा है। भारत अपनी तरफ से साफ कर चुका है, देश के अंदरुनी मामलों में किसी बाहरी देश के प्रधानमंत्री की चिंताएं हमें नहीं चाहिए। बता दें कि कनाडा के रवैये को देखते हुए भारत ने कनाडा से दोनों देशों के बीच शीर्ष राजनयिकों (Top Diplomats) की बैठक को स्थगित करने के लिए कहा है। इस बैठक के रद्द होने के पीछे वजह साफ है कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जिस तरह से किसान आंदोलन (Farmer’s Protest) को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं, उसे भारत किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा। इसको लेकर हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय विदेश मंत्रालय में सचिव (ईस्ट) रीवा गांगुली दास (Riva Ganguly Das) और उनके कनाडाई समकक्ष के बीच यह बैठक 15 दिसंबर को होने वाली थी।
बता दें कि इस बैठक को लेकर दिल्ली की तरफ से कनाडा को कहा गया है कि जिस तारीख पर ये बैठक होनी है वो तारीख असुविधाजनक है। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) पिछले हफ्ते कनाडाई विदेश मंत्री द्वारा कोविड-19 को लेकर ऑर्गेनाइज की गई बैठक में भी नहीं शामिल हुए थे। उस वक्त भी कारण यही बताया गया था।
गौरतलब है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन को लेकर कहा था, ‘अगर मैं किसानों द्वारा प्रदर्शन के बारे में भारत से आ रही खबरों पर ध्यान देना शुरू नहीं करता तो बेपरवाह होता। स्थिति चिंताजनक है… शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा। हमने अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए कई जरियों से भारतीय अथॉरिटीज से संपर्क किया है।’
बता दें कि ऐसी टिप्पणियों को भारत गैरजरूरी करार दे चुका है। कनाडा से आ रहे बयान को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि हमने कुछ कनाडा के नेताओं के भारत के किसानों के बारे में कमेंट सुने हैं। ऐसे बयान गैर जरूरी हैं, वो भी तब जब किसी लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मुद्दों से जुड़े हो।