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सरकार हाथ जोड़कर भी बुलाए तब भी भूमि पूजन में शामिल नहीं हो सकता : शंकराचार्य

आपको बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भूमि पूजन को लेकर सवाल उठाते आए हैं। उन्होंने कहा कि, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट देवशयन के समय में बिना मुहूर्त मंदिर निर्माण आरंभ करा रहा है।

नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर भूमि पूजन की तारीख को लेकर नाराज चल रहे ज्योतिष एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साफ कर दिया है कि वो भूमि पूजन में हिस्सा नहीं लेंगे। उन्होंने कहा है कि, जिस तारीख को भूमि पूजन किया जा रहा है, वो शुभ मुहुर्त नहीं है।

shankaracharya swami swaroopanand saraswati

शंकराचार्य ने कहा कि, पांच अगस्त को होने वाले राम मंदिर भूमि पूजन में सरकार अगर हाथ जोड़कर भी बुलाए तब भी में गलत मुहूर्त में होने वाले भूमि पूजन में शामिल नहीं हो सकता। आपको बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भूमि पूजन को लेकर सवाल उठाते आए हैं। उन्होंने कहा कि, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट देवशयन के समय में बिना मुहूर्त मंदिर निर्माण आरंभ करा रहा है। दूसरी ओर महामारी पीडि़त देश से हर्ष प्रदर्शित करने के लिए दीपोत्सव का आह्वान किया जा रहा है। वर्तमान में कोरोना का संक्रमण पूरे देश में हावी है, लोग विपत्ति में हैं। जब प्रतिदिन पीडि़तों के आंकड़ों में वृद्धि हो रही है तो बजाय स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लोगों से उत्सव मनाने की अपील करना उचित नहीं है।

Ram Mandir Modi

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का मंदिर बनाए जाने से हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन भगवान की जन्मस्थली में गर्भगृह के आग्नेय कोण में बालरूप की स्थापना की जानी चाहिए। शास्त्रोक्त विधि-विधान से इसका निर्माण होना चाहिए।

शंकराचार्य ने सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के समय की घटना का स्मरण कराते हुए कहा कि न्यायालय में सुनवाई के दौरान जब सभी न्यायाधीशों द्वारा एक स्वर में यह पूछा गया कि श्रीराम का जन्मस्थल कहां है तब भारतीय जनता पार्टी या उसके अनुषंगिक संगठन और समर्थक अधिवक्ता आदि जन्मभूमि का सटीक स्थल नहीं बता पाए थे। ऐसे समय में शंकराचार्य जी महाराज ने श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से पक्षकार होने के नाते अपने अधिवक्ता श्री परमेश्वर नाथ मिश्र एवं सुश्री रंजना अग्निहोत्री के माध्यम से न्यायालय को 300 से अधिक प्रमाणों के साथ यह जानकारी दी थी कि श्रीराम की जन्मभूमि इसी स्थल पर है।