नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(RSS) के प्रचारक डॉ. सुमन कुमार हिंदू धर्म और उसके चिंतन को लेकर ऐसे प्रभावित हुए कि, उन्होंने खुद को रॉबर्ट से डॉ सुमन बना लिया। दिलचस्प ये है कि कभी ईसाई मशीनरियों के लिए काम करने वाले रॉबर्ट आज संघ के काम में लगे हैं। बता दें कि आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आर्गेनिक रसायन में रिसर्च करने के दौरान ही रॉबर्ट पादरी बन चुके थे और भारत में मतांतरण के काम को लेकर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 1982 से ही आने-जाने लगे थे। दरअसल 1984 में जबब इनकी उम्र 25 वर्ष की ही थी तो इन्हें पादरी बनाया गया था। जिसके बाद इन्हें भारत भेजा गया था। इसके पीछे का मकसद ये था कि, ये भारत जाकर संघ की गतिविधियों को नजदीक से समझ सकें। उन्होंने भारत में तब दो वर्षों तक संघ के कामों को नजदीक से देखा। इस समय काल में वो हिंदू चिंतन व दर्शन से और संघ की कार्यशैली से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने स्वयं को हिंदू बनना स्वीकार किया।
रॉबर्ट 1986 में मतांतरित होकर आर्य समाज पद्धति से हिंदू सनातन धर्म में शामिल हो गए। उसी साल वो संघ के प्रचारक भी बन गए और हिंदू जागरण मंच के काम लग गए। बता दें कि संघ के वरिष्ठ प्रचारक और आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डा. अशोक वार्ष्णेय डॉ सुमन कुमार को उस समय के संघ के प्रचारकों ने पुत्र की तरह पाला। उनकी देखभाल की। उन्हें संघ के कार्यों के लिए तैयार किया। वहीं ठाकुर राम गोविंद सिंह तो उनको पुत्र और वे उन्हें पिता मानने लगे थे, जो उत्तर प्रदेश के हिंदू जागरण मंच के संगठन मंत्री थे।
हालांकि हिंदू होने के बाद और भारत में काम करने के बीच सबसे बड़ी समस्या सुमन कुमार की उनकी भाषा थी, जिसे दूर करने के लिए वर्तमान अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन से काफी सहयोग लिया। आज हिंदू जागरण मंच के उत्तर पूर्व क्षेत्र (झारखंड-बिहार) के संगठन मंत्री का दायित्व निभा रहे हैं और संघ के तृतीय वर्ष में प्रशिक्षित हैं।
संघ को लेकर थी पहले गलत जानकारी
इंडोनेशिया में संघ को लेकर फैली जानकारी को लेकर डॉ सुमन कहते हैं कि, जब उन्हें भारत भेजा जा रहा था तो उन्हें बताया गया था कि RSS के लोग चर्च को नुकसान पहुंचाते हैं, उसे तोड़ देते हैं। बाइबिल का अपमान कर उसे जला देते हैं। इसके अलावा चर्च के पादरियों पर हमला करते हैं। लेकिन भारत आने पर मुझे ऐसा कुछ नहीं दिखा। मैंने भारत में चर्च और पादरियों की हालत को लेकर मशनरियों को जो अपनी रिपोर्ट भेजी, उसमें लिखा कि जिनका आप मतांतरण कराते हैं उनका राष्ट्रांतरण हो जाता है। संघ के लोग पादरियों को परेशान नहीं करते हैं। संघ हिंसा से जुड़ा कोई काम नहीं करता और ये लोग भारत को कर्म भूमि, देव भूमि मानते हैं। ईसा मसीह का प्रचार करो लेकिन मतांतरण मत करो। भारत में रहने के लिए भारत को समझना होगा। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि भारत को जानिये और भारतीयता में रंगिये।
अब तक 8000 लोगों की घर वापसी करवा चुके हैं
उस समय के सरकार्यवाहक और वर्तमान में सरसंघचालक मोहन भागवत ने उन्हें 2004 में झारखंड भेजा था। वे अब तक 8000 लोगों की घर वापसी करवा चुके हैं। आज झारखंड के सभी जिलों में हिंदू जागरण मंच का काम चल रहा है। वे 2015 से झारखंड-बिहार के क्षेत्र संगठन मंत्री हैं। बता दें कि दैनिक जागरण में प्रकाशित डॉ. सुमन कुमार की दिलचस्प कहानी को सुनने के बाद हर कोई अपने जीवन में एक बार आरएसएस की विचारधारा को करीब से जानना चाहेगा।
बता देें कि डॉ सुमन को 1986 में गोरखपुर में संघ का प्रचारक घोषित कर दिया गया और सरसंघचालक डा. मोहन भागवतजी ने उन्हें साल 2004 में झारखंड भेजा। इसके पहले साल 2000 में वो लखनऊ में भी संघ के लिए कार्यरत रहे।