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Aditya L1: इसरो ने आदित्य एल-1 के बारे में दिया ये बड़ा अपडेट, जानिए सूरज की तरफ भेजा गया यान कहां पहुंचा

आदित्य एल-1 यान जब लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 पर पहुंचेगा, तो वहां करीब 5 साल तक रहेगा और सूरज के बाहरी हिस्से से लेकर उसके कोर यानी सबसे भीतरी भाग तक को देखते हुए तमाम प्रयोग करेगा। इस यान की खास बात ये भी है कि जहां इसे भेजा जा रहा है, वहां से सूरज पर ग्रहण पर भी इसके प्रयोग नहीं रुकेंगे।

बेंगलुरु। सूरज के अध्ययन के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने बीते दिनों आदित्य एल-1 यान को अंतरिक्ष में भेजा था। ये यान अब सूरज की तरफ एक और कदम आगे बढ़ गया है। इसरो की तरफ से दी गई ताजा जानकारी के मुताबिक आदित्य एल-1 यान की कक्षा में तीसरी बार बढ़ोतरी की गई है। अब आदित्य एल-1 यान की धरती के चारों तरफ की कक्षा को इसरो के वैज्ञानिकों ने 296X71767 किलोमीटर का कर दिया है। यानी आदित्य एल-1 यान अब धरती के चारों तरफ जिस अंडाकार कक्षा में घूम रहा है, उसमें उसकी धरती से कम से कम दूरी 296 किलोमीटर और अधिकतम 71767 किलोमीटर हो गई है।

इसरो के मुताबिक अभी आदित्य एल-1 यान की कक्षा में दो बार और बढ़ोतरी की जाएगी। इसके बाद इसे धरती और सूरज के बीच लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 यानी एल-1 की तरफ भेजा जाएगा। प्रक्षेपण के बाद से करीब 125 दिन की यात्रा के बाद आदित्य एल-1 यान लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 पर पहुंचेगा। धरती और सूरज के बीच कुल 5 लैग्रेंजियन प्वॉइंट हैं। इन प्वॉइंट पर धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल मिलते हैं। जिसकी वजह से कोई भी यान लगातार इन लैग्रेंजियन प्वॉइंट पर टिका रहता है। अब तक कुल 22 यान सूरज के बारे में जानकारी लेने के लिए अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं। जिनमें से 14 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भेजा है। भारत ने पहली बार लैग्रेंजियन प्वॉइंट की ओर यान भेजने का काम किया है।

aditya l1

आदित्य एल-1 यान जब लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 पर पहुंचेगा, तो वहां करीब 5 साल तक रहेगा और सूरज के बाहरी हिस्से से लेकर उसके कोर यानी सबसे भीतरी भाग तक को देखते हुए तमाम प्रयोग करेगा। इस यान की खास बात ये भी है कि जहां इसे भेजा जा रहा है, वहां से सूरज पर ग्रहण वगैरा लगने पर भी इसके प्रयोग नहीं रुकेंगे। क्योंकि लैग्रेंजियन प्वॉइंट से कोई ग्रहण नजर नहीं आता है।