नई दिल्ली। केरल के गर्वनर आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan) ने दहेज के खिलाफ अनोखी मुहिम शुरु की है। उन्होंने दहेज के खिलाफ जागरूकता और स्त्रियों के विरूद्ध अन्याय खत्म करने की खातिर अपने सरकारी आवास में एक दिन का अनशन किया। दक्षिण के राज्यों के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब किसी राज्यपाल ने एक सामाजिक मकसद की खातिर कोई अनशन किया हो। सामाजिक सरोकारों के लिए सदा जागरूक और स्त्री के हक हुकूक की लड़ाई लड़ने के लिए विख्यात गर्वनर आरिफ मोहम्मद खान ने यह अनशन कई गांधीवादी संस्थाओं के आह्वान पर किया। इन संस्थाओं ने विवाह की जड़ों से दहेज की कुप्रथा को खत्म करने की खातिर यह आह्वान किया था।
स्त्री हकों के प्रति गर्वनर आरिफ मोहम्मद खान की प्रतिबद्धता का इतिहास गवाह है। शाहबानो केस में एक बेवा के हक हुकूक की खातिर उन्होंने राजीव गांधी के मंत्रिमंडल को ठोकर मार दी थी। राज्यपाल के इस ऐतिहासिक कृत्य को राजनीतिक गलियारों से भी अभूतपूर्व समर्थन मिला।
राज्यपाल की इस पहल की राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा है। गांधी स्मारक निधि के तहत गांधी भवन में भी इस मकसद से भूख हड़ताल का आयोजन किया गया। इस सिलसिले में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपना एक वीडियो संदेश भी दिया। उन्होंने इस संदेश में कहा कि दहेज स्त्री की अस्मिता के साथ भारी अन्याय और अवमानना है। ये वे स्त्रियां हैं जिनका केरल के विकास में अहम योगदान रहा है और इसे हर तरफ स्वीकारा भी गया है।
अपने सामाजिक सरोकारों से राजनीतिक जगत को नई राह दिखाने वाले राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पिछले महीने भी महिलाओं से एक भावुक अपील की थी। उन्होंने महिलाओं से अनुरोध किया था कि वे शादी के वक्त मांगे जाने वाले दहेज के लिए न कर दें। राज्यपाल ने यहां तक कि दहेज की इस घृणित परंपरा के खिलाफ स्वैच्छिक स्तर पर चलाए जाने वाले किसी भी संगठित आंदोलन का हिस्सा बनने की ख्वाहिश भी जाहिर की।