नई दिल्ली। लोकसभा में आज से मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है। दोपहर 12 बजे चर्चा शुरू होगी। तीन दिन तक चर्चा के दौरान 18 घंटे तक सांसद अपनी पार्टी के पक्ष में राय रखेंगे। इसके बाद 10 अगस्त को चर्चा खत्म होने पर पीएम नरेंद्र मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार की तरफ से जवाब देंगे। मोदी सरकार इससे पहले भी साल 2018 में अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर चुकी है। तब भी लोकसभा चुनाव होने में कुछ महीने बचे थे और इस बार भी ऐसा ही है। बहरहाल, अगर सरकारों के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावों की संख्या देखें, तो इससे पहले 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए। किन पीएम के खिलाफ कितनी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, ये आपको बताते हैं।
आजाद भारत का सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव साल 1963 में तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ आया। ये अविश्वास प्रस्ताव आचार्य कृपलानी लाए थे। आचार्य कृपलानी के अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ 62 सांसदों ने वोट दिया था। जबकि, नेहरू सरकार ने 347 वोट हासिल कर लिए थे। सबसे ज्यादा 15 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना बतौर पीएम इंदिरा गांधी ने किया। लाल बहादुर शास्त्री और नरसिंह राव सरकारों के खिलाफ 3-3 बार, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ 2 बार, राजीव गांधी, वीपी सिंह, चौधरी चरण सिंह, एचडी देवगौड़ा और मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ भी 1-1 बार अविश्वास प्रस्ताव आया। इनमें से 1990 में वीपी सिंह, 1997 में देवगौड़ा और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिरी थी।
अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष की तरफ से लाया जाता है। अविश्वास प्रस्ताव लाने का तरीका संविधान के अनुच्छेद 75 में बताया गया है। इस प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 50 सांसदों के दस्तखत कराने होते हैं। प्रस्ताव में लिखा जाता है कि ये सदन सरकार के बहुमत से संतुष्ट नहीं है। अगर अविश्वास प्रस्ताव पास होता है, तो पीएम समेत सभी मंत्रियों को इस्तीफा देना होता है।