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Who is Ishwar Sahu: जानें कौन हैं ईश्वर साहू?, करते हैं मजदूरी, दंगे में मारा गया बेटा, लेकिन चुनाव में 7 बार के MLA को चखाया हार का स्वाद

Who is Ishwar Sahu: आपको बता दें कि उस मजदूर का नाम है ईश्वर साहू। इन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को हार का स्वाद चखाया है। रविंद्र चौबे कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं। सियासत में इनकी तूती बोला करती है।

नई दिल्ली। इसे लोकतंत्र की ताकत नहीं तो और क्या कहेंगे कि छत्तीसगढ़ में एक दिहाड़ी मजदूर ने सात बार के विधायक को सियासी मैदान में धूल चटाकर जीत का खिताब अपने नाम करके भारतीय लोकतंत्र के मजबूत होने का पैगाम देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को दे दिया। खासकर यह संदेश उन लोगों को भी सुनना चाहिेए, जो विदेशी भूमि पर जाकर भारतीय लोकतंत्र की दुर्बलताओं की कहानी को सुनाकर अपनी झोली में सहानुभूति बटोरने की कोशिश करते हैं, लेकिन अफसोस पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने साफ कर दिए हैं कि उनकी झोली में विदेश में बैठे अकाओं से जरूर सहानुभूति मिल रही होगी, लेकिन भारत की जनता अब उनसे अपना मुंह फेर चुकी है। उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं।

जी हां….हम बात कर रहे हैं देश की सर्वाधिक पुरानी पार्टी कांग्रेस के चर्चित नेता राहुल गांधी की। जो आए दिन विदेशी भूमि पर जाकर भारतीय लोकतंत्र के बारे में अनाप शनाप बोलते रहते हैं। उम्मीद है कि जब उन्हें यह पता लगा कि छत्तीसगढ़ में एक दिहाड़ी मजदूर न उनकी ही सरकार के मंत्री और सात बार के विधायक को सियासी मैदान में हार का स्वाद चखाया है, तो उन्हें भारत के मजबूत लोकतंत्र का एहसास जरूर हुआ होगा। आइए, आगे आपको उस मजदूर के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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…तो आपको बता दें कि उस मजदूर का नाम है ईश्वर साहू। इन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को हार का स्वाद चखाया है। रविंद्र चौबे कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं। सियासत में इनकी तूती बोला करती है। इनके आगे तो अच्छे से अच्छे सियासी सूरमा भी पानी मांगते फिरते हैं, लेकिन ईश्वर साहू ने इन्हें हराकर यह साबित कर दिया है कि भारत का लोकतंत्र कितना मजबूत है।

रविंद्र चौबे बेमेतरा जिले की साजा विधानसभा सीट पर चुनावी मैदान में खरे हुए थे। वहीं, बीजेपी ने बड़ा दांव चलते हुए चौबे के विरोध में ईश्वर साहू को मैदान में उतारा, जो कि अब सफल साबित हुआ। बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़ते हुए साहू ने 5 हजार से भी अधिक वोटों से चुनाव लड़े हैं। ईश्वर को यहां 1,01,789 वोट मिले, जबकि रविंद्र चौबे 96,593 वोटों पर ही सिमट गए। दोनों के बीच 5196 वोटों का अंतर रहा। सनद रहे कि बीते दिनों अमित शाह ने साजा विधानसभा में चुनाव प्रचार के दौरान ईश्वर साहू को न्याय का प्रतीक बताकर लोगों से उन्हें वोट देने की अपील की थी। आइए, आगे आपको ईश्वर साहू के बारे में विस्तार से बताते हैं।

गौरतलब है कि 2023 के मई माह में सांप्रदायिक दंगों के दौरान ईश्वर साहू के बेटे की मौत हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने दर-दर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन अफसोस उन्हें कहीं भी न्याय नहीं मिला। इसके बाद बीजेपी की उन पर नजर पड़ी, तो अमित शाह के निर्देश पर उन्हें चुनावी मैदान में उतारा गया। बीजेपी ने ईश्वर साहू रविंद्र चौबे के विरोध में उतारा, जो कि सात मर्तबा विधायक और सरकार में मंत्री तक चुके थे। ऐसे में रविंद्र चौबे का चुनावी मैदान में ईश्वर साहू के हाथों शिकस्त झेलना बीजेपी के लिए सियासी मैदान में बड़ी सियासी उपलब्धि है।

congress flag

छत्तीसगढ़ की सियासी स्थिति

वहीं, अगर छत्तीसगढ़ की सियासी स्थिति की बात करें, तो यहां से प्रदेश की 90 सीटों में से बीजेपी को 54 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस को 35 और अन्य को एक। इस तरह से अब प्रदेश में बीजेपी पू्र्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में अब आगामी दिनों में प्रदेश की कमान किसे मिलती है। इस पर सभी निगाहें टिकी रहेंगी।

congress and bjp flags

क्या है कांग्रेस की प्रतिक्रिया

इसके अलावा कांग्रेस से जब छत्तीसगढ़ की सियासी स्थिति के बारे में सवाल किया गया, तो कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि हमारे लिए यह बिल्कुल अप्रत्याशित था कि हमारी पार्टी का प्रदर्शन ऐसा रहेगा। जमीनी हकीकत तो यह बयां कर रही थी कि हमारी पार्टी सत्ता में लौटेगी, लेकिन चुनावी नतीजों से वाकिफ होने के बाद हम भी हैरत में हैं।

…लेकिन तेलंगाना से मिली अच्छी

बेशक, कांग्रेस के तीन बड़े हिंदी सूबों में हार का मुंह देखना प़ड़ा हो, लेकिन आपको बता दें कि तेलंगाना की जनता ने कांग्रेस पर अपना प्यार बरसाया है। कांग्रेस की झोली में 64 सीटें आई हैं, जबकि बीआरएस की झोली में 39 सीटें आई हैं। वहीं, तेलंगाना में बीआरएस रेवंत रेड्डी को सीएम बनाया जा सकता है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में तेलंगाना की सियासी स्थिति कैसी रहती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।