नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कोलेजियम ने वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल (Saurabh Kirpal) को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) का जज बनाने का फैसला किया है। यहां खास बात ये है कि कोलेजियम के इस फैसले के बाद अब देश को पहला समलैंगिक मिलने जा रहा है। इसके साथ ही ये फैसला न्यायपालिका के इतिहास में भी एक मिसाल बन सकता है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की तरफ से पहली बार किसी समलैंगिक को जज बनाने का फैसला लिया गया है। इस फैसले के बाद अगर अगर सौरभ कृपाल की नियुक्ति हो जाती है तो वो देश (भारत) के पहले समलैंगिक जज बन जाएंगे।
कौन हैं सौरभ कृपाल…
सौरभ कृपाल न्यायमूर्ति बीएन कृपाल के बेटे हैं, जो मई 2002 से नवंबर 2002 तक भारत के 31वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त थे। सौरभ कृपाल ने सेंट स्टीफेंस, दिल्ली विश्वविद्यालय से भौतिकी में बी.एससी (ऑनर्स) किया और फिर कानून की पढ़ाई करने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चले गए थे। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से सौरभ कृपाल ने कानून में स्नातकोत्तर भी किया है। देश (भारत) लौटने से पहले, सौरभ कृपाल ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के साथ कुछ समय तक काम भी किया है।
‘नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ’ केस में था नाम
सौरभ कृपाल एक वरिष्ठ वकील हैं जिन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीसफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है। उन्होंने ग्रेजुएशन में लॉ की डिग्री ऑक्स फोर्ड यूनिवर्सिटी से ही प्राप्त की है। सौरभ कृपाल ने पोस्टग्रेजुएट (लॉ) कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से किया है। दो दशक तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की है वहीं पर उन्होंने यूनाइटेड नेशंस के साथ जेनेवा में भी कार्य किया है। सौरभ का नाम ‘नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ’ के केस को लेकर चर्चा में आया था। दरसअल वह धारा 377 हटाये जाने को लेकर याचिकाकर्ता के वकील की भूमिका में थे। साल 2018, सितंबर में धारा 377 को लेकर जो कानून था, उसे सुप्रीम कोर्ट की ओर से रद्द कर दिया था।
सौरभ कृपाल (Saurabh Kirpal) को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) का जज बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बयान जारी है, जिसमें ये बताया गया है कि 11 नवंबर को कोलेजियम की बैठक हुई थी। इस बैठक में उनके (सौरभ कृपाल) नाम पर सिफारिश की गई थी। इससे पहले भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे ने इस साल मार्च में केंद्र सरकार से सौरभ कृपाल को जज बनाये जाने को लेकर पूछा था कि सरकार इस मामले पर अपनी राय साफ करें।
चार बार पहले हो चुका है ऐसा
इस साल मार्च से पहले भी चार बार ऐसा हो चुचा है कि उन्हें जज बनाए जाने को लेकर राय रखी गई है। सबसे पहले कोलेजियम ने साल 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाए जाने को लेकर सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश की थी।