नई दिल्ली। लोकसभा में आज से मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई की तरफ से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया था। लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर आज से 3 दिन यानी 10 अगस्त तक चर्चा होनी है। चर्चा के बाद पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से लोकसभा में जवाब देंगे। इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है। 545 सदस्यों वाली राज्यसभा में एनडीए और समर्थन दे रहे बीजेडी और वाईएसआरसीपी के 366 सदस्य हैं। इनमें से अकेले बीजेपी के ही 301 सांसद हैं। वहीं, पूरा विपक्ष एकजुट होकर भी 147 सांसद ही अपने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में खड़ा कर पा रहा है।
लोकसभा में संख्या का गणित साफ कर देता है कि विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पर मुंह की खानी पड़ेगी। तो सवाल ये उठ रहा है कि आखिर विपक्ष अपनी सुनिश्चित हार होना तय जानकर भी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आखिर लाया क्यों? दरअसल, इसकी वजह मणिपुर है। मणिपुर में हिंसा और महिलाओं से बदसलूकी के मामले में कांग्रेस समेत विपक्षी दल पीएम नरेंद्र मोदी का संसद में बयान चाहते थे। वहीं, सरकार ने कहा था कि वो मणिपुर पर चर्चा कराने को तैयार है, लेकिन जवाब गृहमंत्री अमित शाह देंगे। विपक्ष इस पर राजी नहीं हुआ और मोदी का बयान कराने पर अड़ गया। वहीं, सरकार भी अमित शाह का बयान कराने पर अड़ी रही।
कांग्रेस के नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने बीते दिनों बताया था कि सरकार की तरफ से अमित शाह से मणिपुर मामले में बयान दिलाने की बात लगातार कही जा रही थी। जबकि, विपक्ष पीएम मोदी का बयान चाहता है। जब विपक्ष को कोई और रास्ता नहीं मिला, तो उसने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब पीएम ही देते हैं। अब सबकी नजर इस पर है कि 10 अगस्त को चर्चा के जवाब में पीएम मोदी क्या कहते हैं। हालांकि, माना ये जा रहा है कि मणिपुर में हिंसा के पुराने मामले उठाकर सत्ता पक्ष पूरी तरह कांग्रेस को ही घेरने वाला है।