नई दिल्ली। कल तक शिवसेना के साथ चोली-दामन का साथ निभाने का दावा करने वाली एनसीपी प्रमुख ने अब सीएम उद्धव को झटका देने का मन बना लिया है। आपको पता ही होगा कि संकट के बीच घिरी शिवसेना को हर मुमकिन मदद करने का ऐलान एनसीपी और कांग्रेस की ओर से किया गया था। पवार ने उद्धव को आश्वस्त किया था कि वे हर परिस्थिति में उनका साथ देंगे जिसका जिक्र खुद सीएम उद्धव ने अपने फेसबुक लाइव में किया था। लेकिन, अभी जिस तरह की खबर सामने आई है, उससे ऐसा लगता नहीं है कि वे ज्यादा दिनों तक सीएम उद्धव का साथ निभाने वाले हैं। मतलब, आप बस इतना समझ लीजिए कि महाविकास अघाड़ी सरकार अब अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें गिनने में मसरूफ हो चुकी है। आइए, आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
जानें पूरा माजरा
दरअसल, रिपब्लिक भारत की खबर के मुताबिक, एनसीपी किसी भी वक्त महाविकास अघाड़ी सरकार से अलग हो सकती है। ध्यान रहे कि अगर ऐसा होता है, तो कांग्रेस भी इस गठबंधन से खुद को अलग कर लेगी और फिर महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को गिरने से कोई नहीं रोक पाएगा। बता दें कि एनसीपी की तरफ से यह प्रतिक्रिया ऐसे वक्त में सामने आई है, जब मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में शिवसेना नेता संजय राउत ने यहां तक कह दिया था कि अगर बागी विधायक चाहते हैं कि एनसीपी और कांग्रेस से अलग हुआ जाए, तो हम इस पर भी विचार करेंगे। हमें महाविकास अघाड़ी सरकार से अलग होने से कोई हर्ज नहीं होगा। ध्यान रहे कि बीते दिनों शरद पवार ने प्रेस वार्ता में कहा था कि अगर महाविकास अघाड़ी सरकार गिरती है, तो हम विपक्ष में रहेंगे। इससे पहले संजय राउत ने भी मीडिया से बातचीत के दौरान यह कहने से गुरेज नहीं किया था कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, हमारी सरकार गिर जाएगी। विधानसभा भंग हो जाएगी। तो लोकतंत्र है। सरकार फिर बन जाएगी।
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— रिपब्लिक.भारत (@Republic_Bharat) June 23, 2022
गौरतलब है कि इससे पहले शिंदे ने 45 से अधिक विधायकों की तस्वीर साझा कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया था। हालांकि, इससे पहले भी उन्हें शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री का पद ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा कर साफ कर दिया था कि उनके लिए पद नहीं, बल्कि विचारधारा अहम है। शिंदे के मुताबिक, महाविकास अघाड़ी सरकार में लगातार हो रही उपेक्षा से व्यथित होकर उन्होंने बगावत का चोगा ओढ़ा है। इससे पहले भी उन्होंने पत्र लिखकर कहा था कि उद्धव सरकार शिवसैनिकों के अपमान का आरोप लगाया था। अब ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र की राजनीति क्या कुछ रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।