नई दिल्ली। एक अनार और सौ बीमार। पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के विपक्ष में खड़ी पार्टियों की आजकल यही हालत है। कहां तो बात कर रहे थे एकजुटता की, लेकिन अभी से सिर फुटौवल की स्थिति इन दलों में बनती दिख रही है। इसकी वजह है साल 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव और खासकर पीएम का पद। एकजुटता की बात कहते-कहते मोदी विरोधी विपक्ष में अब हर तरफ से पीएम पद के संभावित उम्मीदवार का नाम उछाला जा रहा है। ऐसे में फिलहाल लगता यही है कि दो साल से भी कम वक्त में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मोदी के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता का नारा अपने अंजाम तक पहुंचने से पहले ही धराशायी हो जाएगा।
ताजा खबर ये है कि बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी के कार्यकारी अध्यक्ष तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार का नाम पीएम पद के लिए आगे कर दिया है। तेजस्वी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नीतीश कुमार के नाम पर विपक्ष विचार करता है, तो वो निश्चित तौर पर मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं। तेजस्वी ने नीतीश के पक्ष में तर्क ये दिया है कि वो 50 साल से राजनीति में हैं और सामाजिक कार्य भी करते रहे हैं। जेपी के आंदोलन में भी उन्होंने हिस्सा लिया। जमीनी स्तर पर नीतीश को काफी समर्थन है। इससे पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने भी नीतीश के नाम की पैरवी की थी। वहीं, हिंदी अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के मुताबिक यूपी में सबसे मजबूत विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीएम पद के लिए तीन नाम सुझा दिए हैं।
अखिलेश ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि पीएम पद के लिए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव और एनसीपी चीफ शरद पवार ही सबसे मजबूत हैं। उधर, कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि पीएम पद के लिए तो उसके नेता राहुल गांधी ही एकमात्र नेता हैं। दो दिन पहले मीडिया से बात करते हुए बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस अभी किसी नाम पर नहीं सोच रही। एक सवाल पर झा ने कहा कि अगर राहुल गांधी कहेंगे, तभी पीएम पद के लिए किसी और को समर्थन देने के बारे में कांग्रेस कुछ सोच सकती है। कुल मिलाकर फिलहाल पीएम पद के लिए विपक्ष के खेमे से नामों के गुलदस्ते बाहर आ रहे हैं। जबकि, एकजुटता अगर दिखानी है, तो एक नेता के नाम पर अभी से सहमति बनती दिखनी चाहिए।