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Raisina Dialogue: विदेश मंत्री जयशंकर की यूरोपीय देशों को खरी-खरी, भारत को खतरे की अनदेखी का उठाया मुद्दा

जयशंकर ने कहा कि जब हम किसी की संप्रभुता को आदर और सम्मान देने की बात करते हैं, तो याद रखने की जरूरत है कि एक साल पहले ही हमने मानवता को भयंकर संकट के बीच छोड़ दिया था। सभी देश अपने हितों और भरोसे में तारतम्यता बिठाने में जुटे हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोपीय देश और अमेरिका से भारत पर उनका पक्ष लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था। इन सभी देशों को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को खरी-खरी सुनाई। दिल्ली में चल रहे ‘रायसीना डायलॉग’ में हिस्सा लेते हुए जयशंकर ने कहा कि जब हम किसी की संप्रभुता को आदर और सम्मान देने की बात करते हैं, तो याद रखने की जरूरत है कि एक साल पहले ही हमने मानवता को भयंकर संकट के बीच छोड़ दिया था। सभी देश अपने हितों और भरोसे में तारतम्यता बिठाने में जुटे हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

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दरअसल, विदेश मंत्री का इशारा चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के तनाव के बारे में था। जयशंकर ने ये भी कहा कि एशिया में पिछले 10 साल से जो भी हो रहा है, उस पर यूरोप के देशों ने कभी ध्यान नहीं दिया। जो समस्या अभी यूरोप में है, वो आगे एशिया में भी पैदा हो सकती है। उन्होंने यूरोपीय देशों को आईना दिखाते हुए कहा कि एशिया में जब कानून का उल्लंघन किया जाता है, तो भारत को सलाह दी जाती है कि हम ऐसे देशों से कारोबार बढ़ाएं। कम से कम यूक्रेन के मसले पर हम यूरोप के देशों को ये सलाह नहीं दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक से एशिया की हालत अच्छी नहीं है। नॉर्वे की विदेश मंत्री एनीकेन हुईतफेल्त ने यूक्रेन का मुद्दा उठाया था और जयशंकर ने इसी पर उन्हें और यूरोप के बाकी देशों को जमकर खरी-खरी सुनाई। विदेश मंत्री ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दुनिया के सामने आए खाद्य संकट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में हम मदद करते हुए गेहूं का निर्यात बढ़ा सकते हैं। कुछ नियमों से दिक्कत हो रही है। उनमें बदलाव करने की जरूरत है। उम्मीद है कि विश्व व्यापार संगठन WTO इस पर विचार करेगा।