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पाकिस्तान और सऊदी अरब की टूटी दोस्ती, पड़ी गहरी दरार, अब लौटाना पड़ सकता है इतने अरब डॉलर का कर्ज

Pakistan Saudi Arab: पाक की तंगी हालत पर नजर डालें तो पाकिस्तान(Pakistan) का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अरब डॉलर का है जिसमें ज्यादातर विदेशी कर्ज का ही योगदान है। पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा कर्ज चीन(China), सऊदी अरब और यूएई(UAE) से ही लिया है।

नई दिल्ली। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच दोस्ती की गांठ अब खुल चुकी है। इन दोनों देशों के बीच रिश्तों में आई दरार अब गहरी होती जा रही है। बता दें कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और सऊदी अरब की दोस्ती में पड़ी दरार अब मुश्किल दौर में है। मामला यहां तक आ गया है कि अब पाकिस्तान को सऊदी अरब का कर्ज लौटना पड़ सकता है। बता दें कि कुछ दिन समय पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर को लेकर सऊदी अरब को चुनौती दे डाली थी। कुरैशी की टिप्पणी से सऊदी नाराज हो गया था, ऐसे में उसे मनाने के लिए पाकिस्तान ने अपने सेना प्रमुख कमर बाजवा को भी भेजा लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को अगले महीने सऊदी अरब को 2 अरब डॉलर का कर्ज लौटाना पड़ सकता है।

Imran khan and Prince Saudi

पाक के एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सरकार सऊदी अरब का कर्ज लौटाने की तैयारी कर रही है और इसके साथ ही दूसरे स्रोतों से भी कर्ज जुटाने की कोशिश कर रही है ताकि विदेशी मुद्रा भंडार 12 अरब डॉलर पर बना रहे। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही डांवाडोल है और महंगाई चरम पर है, ऐसे में सऊदी का कर्ज लौटाना उसके लिए बेहद कष्टदायक होगा।

सूत्रों का कहना है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान को जो कर्ज दिया था उसकी दूसरी किस्त की अवधि अगले महीने पूरी हो रही है और संभावना है कि सरकार दो साल पहले लिए कर्ज को वापस कर दे। ये किस्त 1 अरब डॉलर की थी। इस दौरान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जब गर्त में चली गई थी और वो भुगतान संकट का सामना कर रहा था तो सऊदी अरब ने पाकिस्तान को करीब 6.2 अरब डॉलर का आर्थिक पैकेज दिया था। इससे पाकिस्तान डिफॉल्टर होने से बच गया था।

लेकिन अब पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रिश्ते ठीक ना होने की वजह से पाक को अब इस कर्ज को चुकाना होगा। सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दो बार सऊदी अरब के दौरे पर गए ताकि आर्थिक मदद हासिल की जा सके। इससे पाकिस्तान सफल भी हुआ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से भी पैकेज हासिल करने में आसानी हुई। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तीन साल की अवधि में करीब 6.2 अरब डॉलर का कर्ज देने पर सहमति जताई थी। इसमें 3 अरब डॉलर की नकद मदद और 3.2 अरब डॉलर की कीमत के तेल और गैस सप्लाई का भुगतान बाद में करने की छूट शामिल थी।

Imran Khan

समझौते के मुताबिक, सऊदी की कर्ज पर तेल आपूर्ति की सुविधा सिर्फ एक साल के लिए थी। इसमें एक विकल्प ये जोड़ा गया था कि अगले तीन सालों के लिए ये सुविधा बढ़ाई जा सकती है। वहीं कर्ज में डूबे पाक को उम्मीद है कि पाकिस्तान को चीन से 2 अरब डॉलर का कर्ज मिल सकता है। पिछली बार भी पाकिस्तान ने चीन की ही मदद से सऊदी अरब का कर्ज लौटाया था। इस बार उम्मीद है कि सऊदी अरब का कर्ज वापस करने के लिए पाकिस्तान को चीन से एकबार फिर कर्ज लेना पड़ सकता है।

imran khan and jinping

हालांकि, अधिकारी ने ये नहीं बताया कि चीन कुछ छूटों पर कर्ज देगा या फिर ये व्यावसायिक कर्ज होगा। चीनी अधिकारियों ने चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) की धीमी प्रगति को लेकर भी चिंता जाहिर की है। सूत्र ने कहा कि इसके बावजूद चीन पाकिस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारी की अहमियत को देखते हुए आर्थिक मदद के लिए एक बार फिर आगे आएगा।

पाक की तंगी हालत पर नजर डालें तो  पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अरब डॉलर का है जिसमें ज्यादातर विदेशी कर्ज का ही योगदान है। पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा कर्ज चीन, सऊदी अरब और यूएई से ही लिया है।