newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

PM Modi: पीएम मोदी ने किया अटल ब्रिज का उद्धाटन, संबोधन में कही ऐसी दिल छू देने वाली बातें, जानकर बाग-बाग हो जाएंगे आप

उधर, अगर इस पुल के स्वरूप और संरचना की बात करें, तो आकर्षक डिजाइन और एलईडी रोशनी से सुसज्जित यह पुल लगभग 300 मीटर लंबा और 14 मीटर चौड़ा है। यह पुल कला एवं संस्कृति को आपस में एक सेतु की तरह जोड़ता हुआ भी नजर आ रहा है। इस पुल का नाम अटल बिहारी वाजपेयी पर रखा गया है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को साबरमती नदी पर पैदल यात्रियों के लिए फुट ओवर ब्रिज का उद्धाटन किया है। यह पुल अहमादाबाद के साबरमती नदी पर निर्मित किया गया है। इस पुल का उद्घाटन करने के दौरान उन्होंने कई मुद्दों का जिक्र किया, जिसकी चर्चा अभी अपने चरम पर देखने को मिल रही है। पीएम मोदी ने इस पुल की तारीफ भी की है। उन्होंने कहा कि ‘यह पुल साबरमती नदी के दो किनारों को ही आपस में नहीं जोड़ रहा, बल्कि ये डिजाइन और इनोवेशन में भी अभूतपूर्व है। इसके डिजाइन में गुजरात के मशहूर पतंग महोत्सव का भी ध्यान रखा गया है।’ प्रधानमंत्री शनिवार से राज्य के दो दिवसीय दौरे पर हैं।

PM Narendra Modi inaugurates Atal Bridge in Ahmedabad Sabarmati Riverfront ANN PM Modi Launch Atal Bridge: पीएम मोदी ने किया 'अटल ब्रिज' का उद्घाटन, बोले- इतिहास बनाने के लिए इसे याद रखना जरूरी

उधर, अगर इस पुल के स्वरूप और संरचना की बात करें, तो आकर्षक डिजाइन और एलईडी रोशनी से सुसज्जित यह पुल लगभग 300 मीटर लंबा और 14 मीटर चौड़ा है। यह पुल कला एवं संस्कृति को आपस में एक सेतु की तरह जोड़ता हुआ भी नजर आ रहा है। इस पुल का नाम अटल बिहारी वाजपेयी पर रखा गया है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर आए हुए थे। इस बीच वे रविवार को भी किसी बड़ी जनसभा में शिरकत करने की संभालना है। यह पुल पैदल यात्रियों के लिए बेहद ही उपयोगी होनी जा रही है। इस पुल को तैयार करने में 2,600 मीट्रिक टन स्टील पाइप का उपयोग किया गया है। अटल ब्रिज का फर्श लकड़ी और ग्रेनाइट की मदद से तैयार किया गया है।

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कई बातों का जिक्र किया है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इतिहास साक्षी है कि खादी का एक धागा आजादी के आंदोलन की ताकत बन गया, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया। खादी का वही धागा विकसित भारत के प्रण को पूरा करने का आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का प्रेरणास्रोत बन सकता है। आजादी के आंदोलन के समय जिस खादी को गांधी जी ने देश का स्वाभिमान बनाया, उसी खादी को आजादी के बाद हीन भावना से भर दिया गया। तो इस तरह से आप देख सकते हैं कि उन्होंने कई मुद्दों का जिक्र किया है, जो कि अभी खासा सुर्खियों में हैं।