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Delhi Metro New Corridor : पीएम मोदी ने दिल्ली मेट्रो के दो नए कॉरिडोर की आधारशिला रखी, 2029 तक काम पूरा करने का लक्ष्य

PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के दौरान एक लाख स्ट्रीट वेंडर्स को पीएम स्वनिधि योजना के तहत ऋण भी वितरित किया। पीएम ने कहा कि कोरोना के समय में हर किसी को एहसास हुआ कि रेहड़ी-पटरी वालों की ताकत क्या होती है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को जेएलएन स्टेडियम में एक कार्यक्रम के दौरान दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के दो नए कॉरिडोर की आधारशिला रखी। इसके साथ ही एक लाख स्ट्रीट वेंडर्स को पीएम स्वनिधि योजना के तहत ऋण वितरित किया। आपको बता दें कि एक कॉरिडोर लाजपत नगर से साकेत जी ब्लॉक तक और दूसरा कॉरिडोर इंद्रप्रस्थ से इंद्रलोक लाइन तक बनाया जाएगा। इन दोनों कॉरिडोर के निर्माण के लिए मोदी कैबिनेट ने बुधवार को ही मंजूरी दे दी थी और उसके अगले ही दिन प्रधानमंत्री ने इसकी आधारशिला भी रख दी। इन दोनों मेट्रो कॉरिडोर को बनाने में कुल 8400 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इनका काम मार्च 2029 तक पूरा कर लिया जाएगा।

आपको बता दें कि मेट्रो का पहला कॉरिडोर लाजपत नगर से साकेत जी ब्लॉक तक बनाया जाएगा जिसकी कुल लंबाई 8.4 किलोमीटर होगी। इसमें 8 स्टेशन होंगे और यह पूरी एलेवेटेड लाइन होगी। दूसरा कॉरिडोर इंद्रप्रस्थ से इंद्रलोक लाइन तक बनेगा जोकि 12.4 किलोमीटर लंबी होगा। इसमें करीब 11.4 किलोमीटर लंबा हिस्सा एलेवेटेड होगा और करीब एक किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा। इस पूरे कॉरिडोर में 10 स्टेशन होंगे, इनमें 9 स्टेशन एलेवेटेड होंगे और एक अंडरग्राउंड स्टेशन होगा। लाजपत नगर से लेकर साकेत जी ब्लॉक कॉरिडोर सिल्वर, मैजेंटा, पिंक और वॉयलेट मेट्रो लाइनों को जोड़ेगा। वहीं इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ कॉरिडोर ग्रीन लाइन का विस्तार होगा और रेड, येलो, एयरपोर्ट लाइन, मैजेंटा, वॉयलेट और ब्लू लाइन के साथ इंटरचेंज होगा।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह पीएम स्वनिधि महोत्सव उन लोगों को समर्पित है जिनके बिना हम अपने दैनिक जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। कोरोना के समय में हर किसी को एहसास हुआ कि रेहड़ी-पटरी वालों की ताकत क्या होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रेहड़ी-पटरी वाले साथियों के ठेले, दुकान भले छोटे हों, लेकिन इनके सपने बड़े होते हैं। पहले की सरकारों ने इन साथियों की सुध तक नहीं ली, इनको अपमान सहना पड़ता था, ठोकरें खाने के लिए मजबूर होना पड़ता था। फुटपाथ पर सामान बेचते हुए पैसों की जरूरत पड़ जाती थी, तो मजबूरी में महंगे ब्याज पर पैसा लेना पड़ता था। बैंक से इनको लोन ही नहीं मिलता था।